- नाज़िम ने अपने बेटे के नाम कर दी वक़्फ़ की बेशकीमती सम्पत्ति की किरायेदारी
(मनव्वर रिज़वी)
गोरखपुर: पिछले कुछ दिनों से अंजुमन इस्लामिया को लेकर बहुत सी बातें कही और सुनी गयी. आज बात कुछ आगे बढ़े इससे पहले
ये जान लीजिए कि सरकार अल्पसंख्यकों की शिक्षा खासकर मुस्लिम अल्पसंख्यकों की शिक्षा को लेकर गम्भीर है.
मदरसों से लेकर अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त शिक्षण संस्थानों को बहुत सी सहूलियतें मिलती हैं. भले ही सरकारी सहूलियत पूरी तरह से
अल्पसंख्यक मुस्लिमों को न मिल पा रही हों लेकिन समाज में सक्रीय मदरसा माफिया सरकार से लाभ लेने का कोई अवसर नही छोड़ते.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अंजुमन इस्लामिया, ख़ूनीपुर में कुल 256 छात्रों को शिक्षा दी जाती है. इसके लिए यहां 13 सरकारी कर्मचारी
कार्यरत हैं जिनके वेतन मद में उत्तर प्रदेश सरकार हर महीने 13 लाख, 24 हज़ार, 880 रुपये खर्च करती है.
अब बात करते हैं अंजुमन इस्लामियां कमेटी के चुनाव की:
सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि अंजुमन इस्लामिया एक संस्था है जो मदरसा अंजुमन इस्लामिया का संचालन करती है.
साथ ही दर्जनों वक़्फ़ सम्पत्तियों की देख-रेख की ज़िम्मेदारी भी इस संस्था के पास है. कहने को नवम्बर 2022 में गुपचुप ढंग से चुनाव सम्पन्न कराए गए.
लेकिन इसी कमेटी के अन्य सदस्यों को कहना है कि कोई चुनाव नहीं हुए. बहरहाल, आपको बताते चलें कि अंजुमन इस्लामिया के सदस्यों की सूची में 106 नाम शामिल हैं
जिसमें से 12 सदस्यों की मृत्यु हो जाने से अब सदस्यों की संख्या 94 हो गई है. इन्हीं 94 सदस्यों में से पदाधिकारियों का चुनाव किये जाने की बात कही जाती है.
अगर इस लिस्ट को सही माने तो वतर्मान समय में प्रधानाचार्य का पद संभाल रहे मिर्ज़ा रफीउल्लाह बेग इस संस्था के आजीवन सदस्यों में शामिल हैं जिनका नाम लिस्ट में 49 नम्बर पर मौजूद है.
इसके अलावा अपने जीवन के अंतिम समय तक अंजुमन इस्लामिया के नाजिम रहे राशिद कमाल सामानी ने वक़्फ़ अधिनियम का उल्लंघन करते हुए अपने पुत्र को वक़्फ़ की बेशकीमती सम्पत्ति किराए पर दे दिया.
अनियमितता और वक़्फ़ के लूट की और भी बहुत सी कहानियां इस अंजुमन इस्लामिया और उसकी कमेटी से जुड़ी है जिनपर चर्चा अगले अंक में करेंगे.