BY– ठाकुर सुरिन्द्र सिंह
आज सोशल मीडिया पर देख रहा हूँ पंजाब के बादल भी दिल्ली की आम आदमी द्वारा फैलाई गन्दी हवा से बीमारी के शिकार हो गये हैं।
सुखवीर सिंह बादल ने भी हिमाक़त की है स्व: राजीव गांधी को दिये “ भारत-रत्न “ को वापिस छीनने की? इन मदारियों से कोई पूछे कि तुम लोग और तुम्हारी पार्टियाँ नुक्कड़ नाटक करने वालों का जमावड़ा है और यह सर्वविदित है कि आज चव्वालीस सीटों पर सिमटी कांग्रेस देश की सबसे पुरानी और उस समय संसद में व राज्यों में मतदाताओं द्वारा चुने सदस्यों की सबसे बड़ी पार्टी थी और उस सामूहिक सोच पर “ मदारियों “ की तरह उछल-कूद करना और आड़े-तिरछे सवाल उठाना राजनीति ही नहीं निकृष्टतम सोच है।
युवा बादल समेत सारे सिख बन्धू याद करें वे पंजाब में आतंक के दिन जब जगह-जगह केवल एक वर्ग विशेष के लोगों को निशाना बनाया जाता था तब कोई बोलता था या किसी का मन डोलता था। नहीं न तो फिर आज अरविन्द केजरीवाल की गन्दी सोच में हाँ में हाँ मिलाना अकाली दल की बद्नीयति है।
सुखवीर सिंह बादल जी अमन और चैन रहने दें मुल्क में क्योंकि विकास नाम का परिन्दा लड़ते-भिड़ते पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। सिख भाई वैसे भी हिन्दुओं के ही बड़े भाई को चुनकर बना धर्म का प्रतीक हैं और हर धर्म समझने, मानने व जानने पहचानने वाले हिन्दुओं का गौरव है इस गेरूये चोले और नीले साफे ( पगड़ी ) पर सफ़ेद धब्बा न लगायें जो शीघ्र ‘ काला ‘ होकर दिख जाता है।
लेखक स्वतंत्र विचारक हैं तथा हिमाचल प्रदेश में रहते हैं।