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उत्तर प्रदेश में योगी सरकार जहां अपराधियों को मिट्टी में मिला देने की नीति पर काम कर रही है वहीं इसकी कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह भी लगने शुरू हो गए हैं.

इस संबंध में सामाजिक-राजनीतिक संगठन रिहाई मंच ने 11 अप्रैल को बलिया में दिनदहाड़े छात्र नेता हेमंत यादव की पीट-पीटकर हत्या के लिए

योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि योगी आदित्यनाथ ने सवर्ण सामंती तत्वों को खुली छूट दे रखी है जिसका शिकार बलिया के छात्र नेता हेमंत यादव हुए हैं.

छात्रसंघ अध्यक्ष चुनाव की तैयारी कर रहे हैं पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष टी डी कॉलेज राम सिंह गौतम और उसके साथियों ने चुनावी रंजिश की वजह से कर दिया.

क्या ऐसे में हत्यारे के घर पर बाबा का बुलडोजर चलेगा.? हेमंत की हत्या में एक ही जाति के छह आरोपी शामिल हैं जो कि योगी आदित्यनाथ की जाति से ताल्लुक रखते हैं.

ऐसे में पीड़ित पक्ष को न्याय मिलेगा या नहीं यह कह पाना बहुत मुश्किल है. बताया जा रहा है कि हेमंत यादव बैचलर डिग्री में द्वितीय वर्ष के छात्र थे.

लाठी, डंडा, रॉड, लोहे की हथौड़ी से हमला करके वंचित समाज के नेताओं की मनोबल को तोड़ने की कोशिश की जा रही है.

योगी की राजनीति शुरू से ही हिंसक रही है जिसकी वजह से इस घटना को अंजाम दिया गया है. अपराध बिना संरक्षण के पलता और पनपता नहीं है.

अपराधियों पर बुलडोजर चलाने वाली सरकार क्या इस नृशंस हत्या के आरोपियों के ऊपर भी बुलडोजर चलाएगी.? जिस उत्तर प्रदेश में कानून का राज

होने की दुहाई बार-बार दी जा रही हो, वहां दिनदहाड़े पुलिस स्टेशन के नजदीक छात्र नेता हेमंत यादव की हत्या हो जाना, दिल दहलाने से कम नहीं है.

बताते चलें कि हेमंत ने किसानों मजदूरों के आंदोलन सहित अल्पसंख्यक समुदाय के आंदोलनों के साथ उन्हें हवा देने के लिए अग्रणी भूमिका निभाया था.

यही वजह है कि वह जिले में सभी लोगों के चहेते हो गए थे. यह भी बताया जा रहा है कि हेमंत की हत्या सुनियोजित तरीके से की गई है.

क्योंकि पिछड़ों, दलितों के छात्रों ने बलिया के महाविद्यालयों में सवर्ण सामंती वर्चस्व को चुनौती दिया है जिससे बौखलाए अपराधियों ने इस हत्या को अंजाम दिया है.

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