लोकसभा की सदस्यता छीने जाने के बाद राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा है कि उनके भाषणों से डरकर इन लोगों ने मेरी सदस्यता लिया है.
किंतु मैं बता देना चाहता हूं कि इन धमकियों, अयोग्यताओं अथवा जेल की सजा काटने से डरने वाला नहीं हूं. प्रेस वार्ता के दौरान जब उनसे यह पूछा गया कि
क्या आप माफी मांग कर इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करेंगे? तो इसका उत्तर देते हुए राहुल गांधी ने बताया कि मेरा नाम सावरकर नहीं है. मेरा नाम गांधी है, गांधी किसी से माफी नहीं मांगता.
मैं भाजपा को स्पष्ट तौर पर बता देना चाहता हूं कि मैं सवाल पूछना बंद नहीं करूंगा. अडानी का नरेंद्र मोदी से क्या रिश्ता है? इसका उत्तर चाहिए.?
इन लोगों से मुझे डर नहीं लगता, अगर इनको लगता है कि मेरी सदस्यता रद्द करके, डरा कर, धमकाकर, जेल भेजकर मेरी आवाज बंद कर सकते हैं,
तो मैं हिंदुस्तान के लोकतंत्र के लिए लड़ रहा हूं और लड़ता रहूंगा. मुझे इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता है कि मैं संसद के अंदर रहूं या बाहर.
मुझे अपनी तपस्या करनी है और मै उसे करके दिखाऊंगा. यह मुझे मारे, पीटे, जेल में डाल दें किंतु मैं अपनी तपस्या जारी रखूंगा.
राहुल गांधी ने कहा कि मै अनेक बार देश में हो रहे लोकतंत्र पर आक्रमण का विरोध किया है. इसका सबूत भी मैंने संसद में पेश किया.
व्यवसाई अडानी को नियमों में बदलाव करके एयरपोर्ट बेच दि या गया, जिस पर भी मैंने संसद में अपनी बात रखी है.
सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरे अगले भाषण जो अदानी से जुड़ा था, से बिल्कुल डर गए थे इसीलिए मुझे अयोग्य घोषित किया गया है.
किंतु इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है. इन्होंने अपनी भारत जोड़ो यात्रा का भी जिक्र करते हुए कहा कि इस यात्रा से जुड़ी
मेरी कोई भी स्पीच देख लीजिए, मैने हमेशा कहा है कि सब समाज एक है नफरत और हिंसा नहीं होनी चाहिए. आपको यहां बताते चलें कि राहुल गांधी की संसद सदस्यता
शुक्रवार को ही समाप्त कर दी गई थी जिस विषय में लोकसभा सचिवालय ने पत्र देकर जानकारी साझा किया था. इसके साथ ही लोकसभा की वेबसाइट से भी राहुल गांधी का नाम हटा दिया गया है.
राहुल केरल के वायनाड से सांसद थे. इन्होंने 2019 में कर्नाटक की सभा में मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि
चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है.? कथन को लेकर सूरत की कोर्ट में मानहानि का दावा किया गया था, जिसको लेकर सुनवाई करने के बाद
राहुल गांधी को 2 वर्ष की सजा सुनाई गई थी यद्यपि कि इन्हें मात्र 27 मिनट बाद ही जमानत दे दी गई किंतु 26 घंटे के बाद ही सदस्यता समाप्त कर दी गई.