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दिल्ली: एक कार्यक्रम के दौरान दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने जब लोगों के सामने अपना दर्द बयान किया तो सुनने वाले श्रोताओं के कान खड़े हो गए.

अपने संघर्ष को याद करते हुए स्वाति ने बताया कि बचपन में उन्होंने अपनी बहन तथा मां के साथ होने वाले डर तथा पिटाई के वातावरण में अपनी जिंदगी व्यतीत किया है.

इनके पिता शराबी थे जो आए दिन मुझे तथा मां को कभी भी पीट दिया करते थे. यदि मेरी जिंदगी में मेरी मौसी-मौसा, नाना-नानी

नहीं होते तो शायद मैं इस पीड़ा से कभी बाहर नहीं निकल पाती. आज जहां मैं हूं शायद वह मुकाम कभी हासिल ही नहीं कर पाती.

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए स्वाति ने बताया कि जब अत्याचार होता है तब बदलाव भी अपने साथ लेकर आता है.

यदि पीड़ित व्यक्ति इस अत्याचार को सहते हुए अपनी उर्जा को सही जगह लगा दे तो जीवन में बहुत बड़े-बड़े काम को अंजाम दे सकता है.

मेरे पिता बचपन में मेरा यौन शोषण करते हुए मुझे पीटा करते थे. आज बहुत सारे ऐसे निष्ठुर, निर्दई पिता हैं, जो अपनी बेटियों की कद्र नहीं करते हैं.

ऊपर से उनके ऊपर कई तरह के अत्याचार ढाने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं. स्वयं पर होते अत्याचार को देखकर मैं हमेशा यह सोचती रहती थी कि मुझे कैसे भी इस नरक भरी जिंदगी से बाहर निकलना है.

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