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आप में से कई लोगों ने सुना होगा कि पीपल का पेड़ रात में ऑक्सीजन छोड़ता है.? कुछ लोगों का दावा है कि विज्ञान भी यही कहता है और लोगों में ऐसी धारणा बनती जा रही है.

वे लोग कहते हैं कि पीपल का पेड़ दिन और रात दोनों समय ऑक्सीजन छोड़ता है इसीलिए पीपल को धार्मिक महत्व दिया जाता है.

जब कि सच्चाई यह है कि पीपल समेत सभी पौधे साँस लेने की प्रक्रिया में दिनोरात ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाई ऑक्साइड ही छोड़ते हैं.

इस धरती पर ऐसा कोई भी पेड़ नहीं है जो रात में ऑक्सीजन देता हो क्योंकि किसी भी पेड़ की ऑक्सीजन उत्सर्जित करने की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया प्रकाश संश्लेषण है,

जो सूर्य की रोशनी की उपस्थिति में ही संभव है जिसके लिए पेड़ के पास हरित लवक यानी क्लोरोफिल (हरा रंजक) और पानी होना बेहद जरूरी है.

सरल शब्दों में समझे तो ऑक्सीजन श्वसन से नहीं प्रकाश संश्लेषण का एक उत्पाद है जो कुछ दुर्लभ, गहरे समुद्र में रहने वाले जीवाणुओ को अगर छोड़ दिये जायें तो ये केवल हरे पौधों में सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में सम्भव होता है.

चांद की रोशनी या किसी और तारे की रोशनी, गरम फ्लोरोसेंट लाइट बल्ब, मोमबत्ती की रोशनी, सीएफ़एल/एलईडी के बल्ब की रोशनी आदि.

प्रकाश के स्रोत प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए आवश्यक तरंगदैर्ध्य की प्रकाश ऊर्जा उत्पन्न नहीं कर सकते हैं जिससे ऑक्सीजन का निर्माण हो सके. इसलिए ऐसा संभव ही नहीं है कि कोई पेड़ रात में ऑक्सीजन का उत्सर्जन कर सके.

इंसान से लेकर सभी जानवर और पेड़-पौधे भी सांस चौबीस घंटे लेते हैं. इस क्रिया में वे ऑक्सीजन वायुमण्डल से लेते हैं और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं.

पेड़-पौधे भी सांस लेने के लिए ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बनडाई ऑक्साइड छोड़ते हैं लेकिन हरे पेड़ों की एक बात अलग है कि वे सूर्य के प्रकाश में एक और महत्त्वपूर्ण क्रिया करते हैं, जिसे प्रकाश संश्लेषण कहा जाता है.

इस क्रिया में वे अपना भोजन स्वयं बनाते हैं. भोजन मतलब ग्लूकोज और ऑक्सीजन का उत्सर्जन क्योंकि वो ग्लूकोज के समय ही बनती है.

इस भोजन बनाने की क्रिया में कार्बन डाई ऑक्साइड में से कार्बन खर्च हो जाता है और बचता है आक्सीजन जिसका पेड़ उस समय उपयोग नहीं कर पाता और वायुमंडल को वापिस कर देता है.

ये हरे पेड़ पौधे वायुमण्डल की कार्बनडाई ऑक्साइड और जल-वाष्प को लेकर सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में हरे रंजक (क्लोरोफ़िल) की सहायता से इस क्रिया को पूर्ण करते हैं.

यानी अगर पौधा या पेड़ हरा न हो और पानी तथा प्रकाश न हो, तो प्रकाश-संश्लेषण नहीं होगा और न ही कोई पेड़ ऑक्सीजन छोड़ेगा वो दिनो-रात बस कार्बनडाइ ऑक्साइड ही छोड़ता रहेगा.

धर्म के धेकेदारों ने पीपल पूजने का वैज्ञानिक कारण बताने के लिये यह अफवाह फैलाया है कि पीपल रात में भी ऑक्सीजन छोड़ता है.

यह झूठ विज्ञान के नाम पर फैलाया गया इसी तरह के नकली विज्ञान को सूडो साइंस कहते हैं जबकि सच्चाई यह है कि सभी हरे पेड़ श्वसन क्रिया में दिन-रात ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड ही छोड़ते हैं.

मगर सभी हरे पेड़-पौधे दिन में श्वसन से निकलने वाले कार्बन डाइ ऑक्साइड में से कार्बन को प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में खर्च कर देते हैं और बचा आक्सीजन छोड़ देते हैं.

अत: पेड़/पौधे श्वसन में ऑक्सीजन नहीं छोड़ते बल्कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में ऑक्सीजन छोड़ते हैं और प्रकाश संश्लेषण की क्रिया सिर्फ दिन में ही सूर्य की रोशनी पाने पर ही होती है.

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