BY-THE FIRE TEAM
होश खोना यानी ब्लैकआउट. इसका अर्थ होता है – एक ख़ास वक़्त के दौरान अपनी याददाश्त इकट्ठी नहीं कर पाना. जैसे- किसी दुर्घटना का गंभीर शिकार होना, कमजोर हृदय ,अत्यधिक संवेदनशील व्यक्तित्व आदि.
इसके आलावा कई बार इंसान ज़्यादा शराब पीने से भी ब्लैकआउट यानी होश खोने का शिकार हो जाता है. असल में शराब की वजह से हमारे ज़हन का हिप्पोकैम्पस ठीक से काम नहीं कर पाता. इससे वो उस दौरान की यादें एकत्र नहीं कर पाता.
अमरीका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ एल्कोहल एब्यूज़ ऐंड एल्कोहलिज़्म के आरोन व्हाइट बताते हैं, “ये ठीक उसी तरह है जैसे किसी टेप का एक हिस्सा ख़ाली हो गया हो.”
एक अध्ययन से खुलासा हुआ है कि अक्सर सामने वाले को पता नहीं चल पाता कि कोई इंसान होश खो बैठा है या ब्लैकआउट का शिकार हो गया है. कई मामलों में तो होश खो बैठने वाले लोग उस दौरान हुई घटनाओं को दोहराने में भी कामयाब रहे थे.
वो उस दौरान छोटे मोटे गुणा-भाग भी कर पा रहे थे. हालांकि आधे घंटे बाद उनकी उस वक़्त की यादें एकदम ख़त्म हो चुकी थीं.
नशेड़ियों का होश खो बैठना आम बात है. 1000 छात्रों पर हुए एक रिसर्च में माना गया कि कम से कम दो तिहाई लोग यानी 66.4 प्रतिशत ने आंशिक ब्लैकआउट कर जाने की बात मानी.
बीबीसी फ्यूचर ने लिखा है कि 4,600 लोगों पर किए गए एक और रिसर्च के मुताबिक़ 52 फ़ीसद मर्दों और 39 प्रतिशत महिलाओं को कम से कम एक बार तो ब्लैकआउट का तजुर्बा हुआ ही था.
21 फ़ीसद पुरुषों और 11 प्रतिशत महिलाओं ने शराब पीने की वजह से साल में तीन बार होश गंवा बैठने की बात मानी थी. 2000 लोगों पर हुए एक तजुर्बे से पता चला कि किशोरावस्था में शराब पीने वाले इसका अक्सर शिकार हुए.
अलग-अलग लोग,अलग-अलगअसर
वैसे हर इंसान के ब्लैकआउट होने के लिए ज़रूरी पेग की तादाद अलग होती है.
होश खो बैठने का असर भी लोगों पर अलग-अलग तरह से ही होता है. शराब पीने की वजह से महिलाएं ज़्यादा ब्लैकआउट करती हैं. ये ख़ूबी उन्हें कई बार विरासत में मिलती है. कई जुड़वां शराबियों पर हुए रिसर्च से पता चला है कि ऐसे बच्चों की माएं भी कई बार ब्लैकआउट की शिकार हुई थीं.
वैसे अगर किसी मर्द की मां शराब पीकर होश खो बैठने की दिक़्क़त की शिकार थी, तो उसके ख़ुद के होश गंवाने की आशंका किसी महिला के मुक़ाबले दोगुनी हो जाती है.
किशोरावस्था में शराब पीने की वजह से दिमाग़ पर बहुत बुरा असर पड़ता है. इससे ज़हन का विकास भी रुक सकता है. इसकी वजह ये है कि उम्र के उस दौर में इंसान का दिमाग़ विकसित हो रहा होता है. शराब इसकी राह में रोड़े अटकाती है.
भले ही होश गंवाने की वजह कोई भी हो, इसका एक नतीजा होने की आशंका सब से ज़्यादा होती है- आप संपत्ति को नुक़सान पहुंचा सकते हैं, ख़ुद को नुक़सान पहुंचा सकते हैं, इससे कई बार लोग शर्मनाक हालत में भी पहुंच जाते हैं.
किसी महिला या पुरुष से छेड़खानी, कई लोग यौन हिंसा जैसे बर्ताव भी शराब के नशे में कर बैठते हैं. ऐसा अक्सर होश गंवाने के दौरान होता है.
ऐसी हरकतों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. महज शराब का बहाना करके किसी को छेड़ना ,जान लेवा हमला करना सामाजिक दृष्टिकोण से ठीक नहीं है. हमें खुद को नियंत्रित रखना चाहिए तथा इस तरह की आदतों को छोड़ने में ही अपना और समाज का कल्याण निहित है.