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क्रमिक अनशन का आज तीसरा दिन भी बीत जाने के बाद अनशनरत कर्मियों के अनशन स्थल पर कोई पुरसाहाल लेने वाला नहीं आया. अनशन के दौरान उस समय हृदय विदारक दृश्य उत्पन्न हो गया

जब 22 वर्षीय सत्यवान स्वर्गीय चंद्र सेन का पुत्र अपनी मां के साथ दो छोटे-छोटे बच्चों को साथ में लेकर क्रमिक अनशन स्थल पर आकर रोने लगा तो वहां मौजूद राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद

के संरक्षक शब्बीर अली ने उन्हें समझा-बुझाकर शांत कराया. लेकिन उसकी मां जिद पर अड़ी थी कि जब मेरे पति ही नहीं रहे तो अब मैं किसके सहारे जिंदा रहूंगी.

कोई घर-परिवार का मुखिया है ही नहीं इससे अच्छा तो यह है कि मैं स्वयं यहां बैठ जाऊं और अपनी जान दे दूं. अध्यक्ष विवेकानंद पांडे ने स्थिति को संभालते हुए

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आक्रोशित याचीगणों के साथ उसको भी शांत कराया और एक टेंपो बुलाकर कुछ आर्थिक सहायता कराते हुए उसको घर भिजवाया.

फिर भी महिला का पुत्र सत्यवान क्रमिक अनशन पर यह कहते हुए बैठ गया कि या तो मुझे सेवा में लिया जाए नहीं तो मैं अब यहीं अपनी जान दे दूंगा.

उसकी हठधर्मिता को देखकर ऐसा लगा कि यदि उसे समझाया नहीं गया तो कुछ भी अप्रिय घटना अवश्य घट सकती है.
याचीगणों को संबोधित करते हुए प्रांतीय कार्यवाहक अध्यक्ष शिवानंद श्रीवास्तव ने कहा कि

“मुख्य अभियंता और उनके अधीनस्थ अधिकारियों को काहे का डर? क्योंकि जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का?  अगर ऐसा नहीं है तो लगातार 20 वर्षों से कुछ लोगों को कार्य पर रखकर बाकी लोगों को सड़क पर मरने के लिए क्यों छोड़ दिया गया?”

ना तो किसी न्यायालय का डर है ना ही शासन-प्रशासन का डर है और ना ही किसी के मर जाने पर इनकी संवेदना ही जागती है. ऐसे में अब एक ही रास्ता बचता है कि

दिनांक 10 अप्रैल, 2023 से इस क्रमिक अनशन को तब्दील करते हुए आमरण अनशन किया जाए. जब जीविकोपार्जन ही नहीं तो जीना किस काम का? ऊपर से नीचे तक गरीबों,

शोषितों के बारे में सोचने वाला ना तो कोई रहनुमा रह गया है और ना तो लूट, खसोट, भ्रष्टाचार में लिप्त इन अधिकारियों को कोई भय ही रह गया है.

अब या तो हमें सेवा में लिया जाएगा या तो हम यहीं कफन ओढ़ लेंगे, इसके लिए हम तैयार हैं. इस क्रमिक अनशन पर सत्यवान (मृतक आश्रित चंद्रसेन) अरविंद (मृतक आश्रित चंद्रमणि) और सुरेश तथा इनके समर्थन में अनेक याचीगण  बैठे हुए हैं.

अनशन स्थल का संचालन नौतनवा से आए खेदन यादव ने किया जबकि बड़ी संख्या में धरना स्थल पर अनिल लोग उपस्थित रहे.

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