लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए अब सभी राजनीतिक दल अपने-अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं. इसी क्रम में सपा ने गोरखपुर सीट से अभिनेत्री काजल निषाद
को अपने प्रत्याशी के रूप में घोषित किया है जबकि बसपा जल्द ही अपने पत्ते खोलेगी. जहां तक काजल के प्रत्याशी बनने का अवसर आया है तो उसकी वजह इनका युवा तथा महिला मतदाताओं में सहजता से वोट बनाना है.
इसके अतिरिक्त जातीय समीकरण में भी काजल फिट बैठती हैं. हालांकि वर्ष 2022 की विधानसभा चुनाव में काजल ने कैंपियरगंज से विधायकी का चुनाव लड़ा था
किंतु इन्हें हार का सामना करना पड़ा. वहीं वर्ष 2023 में पार्टी ने पुनः काजल को गोरखपुर महापौर के लिए भी प्रत्याशी बनाया किंतु यहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली.
अब यह देखना है कि फिर से सपा ने काजल पर भरोसा दिखाकर लोकसभा चुनाव में उतारा है तो यह निर्णय कहां तक सकारात्मक असर दिखाता है.?
काजल ने बढ़ाया है सपा का वोटिंग ग्राफ:
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जातीय समीकरण के अतिरिक्त मतदाताओं को रिझाने का तरीका काजल बखूबी जानती हैं.
साथ ही सपा द्वारा पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों को एकजुट करने के लिए पीडीए अभियान भी कारगर असर दिखा सकता है.