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गोरखपुर: ‘कलम के सिपाही’ कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर नाट्य दल गोरखपुर’ ने दुर्गाबाड़ी चौक स्थित दुर्गा बाड़ी सभागार में

एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया जिसमें प्रेमचंद जी के कृतियों पर चर्चा करते हुए उस परिवेश और आज के इस परिवेश को मिलाते हुए

समस्याओं पर चर्चा की गई तो सामने जो महत्वपूर्ण बात निकल कर आई वह यह रही कि आज भौतिक संसाधन भले बदले हैं लेकिन समस्याएं वही जस की तस हैं.

शायद यही वजह है कि मुंशी प्रेमचंद की कृतियां स्वतः बन पड़ी हैं. इस विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए नाट्य दल गोरखपुर के अध्यक्ष

गुलाम हसन खान ने कहा कि-समय, परिस्थिति, कालखंड भले ही बदल गया हो, हमारे आसपास के भौतिक संसाधनों में भले बदलाव आ गया हो लेकिन समस्याएं वही मुंशी प्रेमचंद जी के समय की ही आज भी विद्यमान हैं.

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी ने जिन दलित, शोषित, वंचित, गरीब, मजदूर, किसान की बात अपनी कहानियों में करते आए हैं या उनकी समस्याओं को उठाते आए हैं वही समस्याएं आज भी समाज में विद्यमान हैं.

उस समय की लिखी हुई उनकी कहानियां आज भी प्रासंगिक हैं और उनके पात्र आज के समय में भी देखे जा सकते हैं.

विचार गोष्ठी में प्रदीप जायसवाल, बेचन सिंह, ईश्वर राव रोहित, प्रियंका शर्मा, अंकिता मिश्रा, उपेंद्र तिवारी, राधेश्याम, गिरिजेश दुबे, चक्रधारी सिंह, इमरान, शिव विवेक आदि उपस्थित रहकर अपने विचार रखे.

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