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  • अगर कोई सरकार जनता को इसके बुनियादी अधिकारों से वंचित रखती है तो जनता का अधिकार ही नहीं बल्कि कर्तव्य बन जाता है कि ऐसी सरकार को बदल दे-भगत सिंह

आटा, चावल, गेहूं, दाल, तेल, चीनी, दवा पर लगे जीसटी को हटाने कि मांग को लेकर पूर्वाञ्चल गांधी ने 100 से अधिक पत्र/ ज्ञापनों/ सत्याग्रह के जरिए

शासन और प्रशासन को अवगत कराया किन्तु जब सरकार पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ा तो अंततः इन्होंने सत्याग्रह का रास्ता चुना है. 

आपको याद दिलाते चलें कि इन मांगों के अतिरिक्त निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स को समाप्त करने या प्रत्येक टोल पर दोनों तरफ एक-एक टोल लेने फ्री करने,

शिक्षा ,चिकित्सा, जनसंचार, एक समान करने सहित मुफ़्त में देने तथा डीजल, पेट्रोल, सीएनजी, गैस सिलेंडर पर क्रमशः ₹50 प्रति लीटर एवं 500/ सिलेंडर बेचने का भी निवेदन किया था.

देश में बेतहासा बढ़ी महंगाई को रोकने के लिए भारी गाड़ियों पर टोल टैक्स ₹1 प्रति km लेने का सुझाव भी रखा था.

परंतु अंधी, गूंगी, बहरी सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया जिसके कारण इन्हें अधिक पीड़ा है. जैसा कि हम सभी जानते हैं हमारा देश 142 करोड लोगों का लोकतंत्र है.

इनसे बिना पूछे सरकार ने लोगों के जीवन एवं स्वतंत्रता पर टैक्स लगाया? क्या कोई मनुष्य जाति जो खाना खाती है, आटा, चावल, गेहूं, दाल, तेल, चीनी, दवा पर टैक्स लगा सकती है?

निजीगाड़ियों पर टोल टैक्स लगाना संविधान प्रदत्त कहीं आने-जाने की मौलिक स्वतंत्रता का हनन है. शिक्षा, चिकित्सा, जनसंचार को ऊंची कीमतों पर बेचना नैतिक है?

5 किलो अनाज में जीवन की तलाश करने वाले 80 करोड़ कंगाल एवं 22 करोड़ कुपोषित जिनके पास एक पैसे नहीं है आखिर वे 5 किलो अनाज में जिंदा कैसे रहेंगे? वे जीवन की जरूरतें कैसे हासिल करेंगे.?

इन सभी मुद्दों को लेकर पूर्वाञ्चल गांधी ने चेतावनी दिया है कि आने वाली 23 मार्च की तारीख यानि भगत, सुखदेव और राजगुरु के शहादत दिवस तक समापत नहीं किया तो इन सभी आर्बिट्रेरी ऑर्डर्स को तोड़ देंगें.

इनका कहना है कि एक वोट नरेंद्र मोदी भी देते हैं और एक वोट मैं भी देता हूं. पीएम बनकर वे हम पर टैक्स के कोड़े बरसाते हैं, हम सहते हैं इसमें समानता, स्वतंत्रता, लोकतंत्र और संविधान कहां है?

मै झूठ, हिंसा, भय, नफरत की नींव पर खड़ी सत्ता का पतन चाहता हूं. इसे समाप्त कीजिए क्योंकि इसे आप ने पैदा किया है अन्यथा गांधी के सत्य, अहिंसा, भगत सिंह के समाजवाद, तथा अंबेडकर के संविधान की ताकत से इसका पतन कर दूंगा.

 

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