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  • “PIL” से ही “डेमोक्रेसी की हिफाजत” हो सकती है

पर्यावरणविद्, समाजविद् तथा मनुष्यता के हितैषी, दिल्ली यूनिवर्सिटी से पीएचडी, पूर्वांचल के गांधी कहे जाने वाले डॉ संपूर्णानंद मल्ल ने

ईडी की एकाएक कार्यवाहियों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय को पत्र लिखकर अनेक तथ्यों पर ध्यान आकर्षित किया है.

इनका कहना है कि कुछ पार्टी नेताओं के विरुद्ध ED की अचानक सक्रियता एवं जांच-पड़ताल पर तत्काल रोक लगे क्योंकि इससे ‘भारत की डेमोक्रेसी’ नष्ट हो जाएगी.

अभी तो ED का इस्तेमाल सत्ता हासिल करने के ‘अभिकरण’ के रूप में किया जा रहा है. किन्तु आने वाले समय में यह गतिविधि ‘भय’ एवं ‘बदनामी’ की वजह से लोकतंत्र को नियंत्रित करने लगेगी.

यदि वास्तव में इन नेताओं द्वारा भ्रष्टाचार किया गया है तो इनके विरुद्ध ED की कार्यवाही, पहले ही होनी चाहिए थी. अब जबकि संसदीय चुनाव 4 से 5 माह रह गए हैं,तो ऐसी कार्रवाई क्यों?

एक बकरी के चरवाहे से भी पूछा जाए तो वह कहेगा कि भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध ऐसी कार्यवाही पहले ही होनी चाहिए थी.

इन्होंने स्पष्टतः रूलिंग पार्टी पर तंज कसते हुए कहा है कि वह अराजकता एवं “असत-व्यस्त” के हालात में चुनाव एवं सत्ता पर कब्जा करना चाहती है.

इसलिए मै परम सम्माननीय न्यायालय से निवेदन करता हूं कि अगले संसदीय चुनाव तक ED की कार्यवाही स्थगित कर दी जाए, वह भी ऐसी हालत में जब ED स्वतः घूस लेते पकड़ी गई हो.

अपने ज्ञापन की कॉपी डॉ मल्ल ने माननीय चीफ जस्टिस दिल्ली हाई कोर्ट तथा इलाहाबाद हाई कोर्ट को भी प्रेषित किया है.

 

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