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Gorakhpur: दिल्ली यूनिवर्सिटी के पीएचडी स्कॉलर पूर्वांचल गांधी डॉ संपूर्णानंद मल्ल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि

“बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई इस महान मुल्क को घून की तरह खा रहे हैं. आज गांधी, भगत सिंह, अंबेडकर के इस महान मुल्क को बचाने की जरूरत है, इसमें तनिक भी देर ना करें.”

पूर्वांचल गांधी ने मांग किया है कि आटा, चावल, गेहूं, दाल, तेल, चीनी पर जीएसटी एवं निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स समाप्त करें. शिक्षा, चिकित्सा, रेल संचार एक समान एवं शुल्क रहित करें.

मदिरालय बंद कर दी जाए, मंदिरों, मस्जिदों को विद्यालय, चिकित्सालय में बदल दिया जाए. डीजल, पेट्रोल, सीएनजी ₹50 प्रति लीटर, गैस सिलेंडर ₹500 प्रति एवं गरीबों को फ्री गैस दें.

प्राइवेट संपत्ति एवं बेची गई सरकारी कंपनियां जप्त कर ली जाए. प्रत्येक जिले में एक कृषि आधारित उद्योग एवं डेयरी उद्योग स्थापित करें. स्त्रियों को स्नातक तक अनिवार्य शिक्षा का कानून बना दें.

कृषि भूमि बराबर वितरित कर दी जाए, विधायिका की सदस्यता एक बार चुनाव लड़ने के अधिकतम तीन अवसर का कानून बनाएं, बस इतना ही तो करना है.

इसमें नीचे के पांच लागू करने में थोड़ा समय लग सकता है, बाकी जीवन, स्वतंत्रता छीनने वाले आर्बिट्रेरी ऑर्डर्स रद्द कर देना है, कार्यपालिका ने इसे मनमाना लागू किया है.

इन्होंने सुझाया है कि इतना करते ही बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई मर जाएगी और भारत समृद्धि एवं शक्तिशाली देश बन जाएगा, अंधविश्वास, पाखंड ढोंग भी समाप्त हो जायेंगे.

यदि ऐसा नही हुआ तो स्वतंत्रता दिवस यानि 15 अगस्त को संसद पर सत्याग्रह करके सभी आर्बिट्रेरी ऑर्डर्स वैसे ही तोडूंगा जिस प्रकार से गांधी ने अंग्रेजों का नमक कानून तोड़ा था. पत्र की यह प्रति सर्वोच्च न्यायालय तथा मानवाधिकार आयोग को भी भेजा गया है.

 

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