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पूर्वी उत्तर प्रदेश में बारिश नहीं होने से किसान बेहाल और परेशान हैं. बारिश के लिए अब गोरखपुर में टोटके भी शुरू हो गए हैं.

पुरानी परंपराओं को मानते हुए कालीबाड़ी मंदिर में मेंढक-मेंढकी की शादी कराई गई. इसके अलावा चौरीचौरा के महादेवा गांव में ग्रामीणों और पुजारी ने शिव मंदिर में ही पानी भर दिया.

पिपराइच के सिधावल गांव में मंगलवार को काफी महिलाओं-पुरुषों ने भगवान इंद्र और सूर्यदेव की पूजा की. देवताओं को मनाने के लिए हवन-पूजन किया, साथ ही धरती की प्यास बुझाने की कामना की.

भगवान सूर्य को चढ़ाई गई धार:

इतना ही नहीं, ग्रामीण महिलाओं ने भगवान सूर्य से उनकी तपिश कम करने की प्रार्थना करते हुए उन्हें धार भी चढ़ाया. धार का मतलब होता है कपूर, नीम की पत्ती और लौंग का मिश्रण.

महिलाओं ने पीतल के लोटे में जल लेकर उसमें धार डालकर सूर्यदेव को अर्पित किया, बारिश के लिए मंदिर में पानी भर कर शिवलिंग को डूबो दिया.

चौरीचौरा के महादेवा गांव में बारिश नहीं होने पर ग्रामीणों और पुजारी ने शिवलिंग को पूरी तरह पानी में डूबो दिया. ग्रामीणों और पुजारी को विश्वास है कि ऐसा करने से बारिश हो जाएगी.

चौरीचौरा के महादेवा गांव में बारिश नहीं होने पर ग्रामीणों और पुजारी ने शिवलिंग को पूरी तरह पानी में डूबो दिया. ग्रामीणों और पुजारी को विश्वास है कि ऐसा करने से बारिश हो जाएगी.

मंदिर के मुख्य पुजारी पारस नाथ ने बताया कि पुरानी कहानियों के अनुसार, पहले यह इलाकों जंगल से घिरा हुआ था. आसपास कोई गांव भी नहीं था, जंगल के बीच यह शिव मंदिर तब भी था.

मंदिर कब से यहां स्थापित है, इस​का इतिहास कोई नहीं जानता. सदियों पहले भी ऐसा ही हुआ था, तब भी बारिश नहीं होने से हाहाकार मचा हुआ था.

उस वक्त भी यहां के ग्रामीणों से ऐसा ही किया था, मंदिर में स्थापित भगवान शिव की पिंडी को घेर कर उसे पानी से डुबो दिया गया था.

ऐसा करने के बाद लोगों ने भगवान शिव से बारिश की प्रार्थना की थी. इसके बाद यहां जमकर बारिश हुई थी. यह मंदिर चौरीचौरा मुख्य कस्बा भोपा बाजार से 500 मीटर दूरी पर है.

पुरानी परंपराओं के टोटके से बारिश की उम्मीद

गोरखपुर के साथ ही पूर्वांचल में बारिश नहीं होने से हाहाकार मचा है. उमस भरी गर्मी से आम पब्लिक बेहाल है. साथ ही किसानों के सामने फसल बर्बाद होने की समस्या है.

ऐसे में थक-हार कर यहां लोग बारिश के लिए अब पुरानी परंपराओं पर विश्वास करते हुए टोटके शुरू कर दिए हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि इन टोटकों से अब बारिश जरूर होगी. पुराने जमाने में जब बारिश नहीं होती थी तो लोग तरह-तरह के उपाय करते थे.

भगवान को बड़ी शिद्दत से याद करते थे। धरती पर लोगों की गुहार सुनकर इंद्र देव प्रसन्न होते थे और बारिश होती थी.

आज उसी परंपरा को लेकर यहां भी इंद्रदेव को खुश करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं. पारंपरिक गीतों के जरिए दर्द बयां किया.

पिपराइच के सिधावल गांव में मंगलवार को गांव के ब्रह्म स्थान पर बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष पहुंचे. इंद्रदेव को मनाने के लिए उन्होंने पारंपरिक गीतों के जरिए उनसे अपनी पीड़ा कही.

बारिश नहीं होने से परेशान ग्रामीणों का कहना है कि इस बार इंद्रदेव नाराज दिख रहे हैं. यही वजह है कि दूसरे प्रदेशों में हर रोज बारिश हो रही है.

मगर, यहां जुलाई का आधा महीना खत्म होने के बाद भी बारिश की एक बूंद भी देखने को नहीं मिली.

भगवान सूर्य की अग्निवर्षा से खेतों में लगी है आग:

ग्रामीणों का यह भी कहना है कि भगवान सूर्य की अग्निवर्षा की वजह से उनके खेतों में मानो आग लग गई है. पंपिंग सेट से खेतों की सिंचाई भी काफी मुश्किल हो गई है. महंगे डीजल वाले पंपिंग सेट से पानी चलाकर खेत को सींच पाना गरीब किसानों के लिए संभव नहीं है.

किसानों के सामने रोटी का संकट:

यहां के लोगों के लिए खेती ही उनकी आजीविका का साधन है. अगर इस बार फसल नहीं हुई, तो घरों में कोई मांगलिक कार्यक्रम नहीं हो सकेगा.

ना ही पूरे साल उनके बच्चों का पेट पल पाएगा, किसानों के सामने रोटी तक का संकट खड़ा हो जाएगा.

अब भगवान का ही एकमात्र सहारा:

ग्रामीणों का कहना है कि विज्ञान भी इस बार मौसम को लेकर भविष्यवाणी करने में फेल साबित हुआ है. ऐसे में अब भगवान ही एकमात्र सहारा है जो उन्हें इस संकट से निकाल सकते हैं.

ईश्वर को मनाने के लिए लोग लगातार पूजा-अर्चना कर रहे हैं ताकि दैवीय प्रकोप कम हो और इंद्र देव की कृपा से यहां की धरती की प्यास बुझ सके.

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