- कर्मचारी विरोधी रवैया सरकार को पड़ेगा भारी: रूपेश
- सरकार का आदेश कोरोना में शहीद कर्मचारियों का अपमान: अशोक पांडेय
लोकसभा के मानसून सत्र में भारत सरकार के वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा लोकसभा में दिए गए बयान पर कर्मचारियों में भारी आक्रोश है.
बताते चलें कि कोरोना काल में केन्द्र सरकार ने वित्तीय संकट का हवाला देते हुए 18 महीने के डीए के एरियर पर रोक लगा दी थी.
कोरोना काल बीत जाने के बाद लगातार अनेक कर्मचारी संगठन सरकार को ज्ञापन और पत्राचार के माध्यम से यह मांग करता रहा कि कर्मचारी पेंशनरों के मेहनत की गाढ़ी कमाई 18 महीने का एरियर उन्हें दिया जाए.
कर्मचारियों को उसी पत्राचार और ज्ञापन के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में यह बयान दिया कि कर्मचारियों के 18 महीने का बकाया एरियर दे पाना संभव नहीं है.
वित्त राज्य मंत्री के बयान से कर्मचारियों में भारी आक्रोश है तथा आपदा में कर्मचारियों की कुर्बानी का अपमान है.
परिषद के अध्यक्ष रूपेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि
“अब स्पष्ट हो गया कि केन्द्र सरकार कर्मचारी विरोधी है. पहले वित्त सचिव टीवी राघवन का पुरानी पेंशन विरोधी बयान और अब वित्त राज्य मंत्री का एरियर से इन्कार, इसका खामियाजा आने वाले समय में सरकार को भुगतना पड़ेगा.”
वहीं उपाध्यक्ष अशोक पांडेय ने कहा कि 18 महीने का एरियर देने से इंकार कर यह सरकार कोरोना काल में अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए शहीद हुए कर्मचारियों का भी अपमान कर रही है.
सरकार को यह नहीं पता है कि उसके इस बयान से उन शहीदों के परिजनों पर क्या बीतेगी? सरकार का यह तानाशाही रवैया न तो कर्मचारियों के हित में है और न ही राष्ट्र के हित में.
इसलिए सरकार एरियर और पुरानी पेंशन पर अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे अन्यथा कर्मचारियों की आह से पूरी नहीं होगी सरकार की चाह.
इस अवसर पर राजेश सिंह, मदन मुरारी शुक्ल, कनिष्क गुप्ता, इजहार अली, ओंकार नाथ राय, प्रभु दयाल सिन्हा बंटी श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे.