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हाथरस: लोगों के मन में ऐसी धारणा है कि सरकारी विद्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों में अधिकतर कम आय वर्ग वाले परिवारों के बच्चे ही शिक्षा ग्रहण करते हैं.

किंतु इस धारणा को बदलने का काम वर्तमान में हाथरस जिले की डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट अर्चना वर्मा ने अपने बच्चों का दाखिला आंगनबाड़ी केंद्र में कराकर किया है.

इन्होंने समाज में एक अच्छी मिसाल भी पेश की है जिसे देख कर परिवर्तन महसूस किया जा सकता है. डीएम अर्चना वर्मा अब इस कदम से

सरकारी अफसर और कर्मचारियों के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने अपने बेटे का दाखिला किसी बड़े नर्सरी स्कूल की जगह आंगनवाड़ी में कराया है. 

हम सभी जानते हैं कि आमतौर पर किसी बड़े अधिकारी के बच्चे किसी इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ते हैं, लेकिन डीएम के इस कदम ने सभी को चौंका दिया है.

हाथरस की डीएम अर्चना वर्मा को एक बेटी और एक बेटा है. उन्होंने अपने सवा दो साल के बेटे अभिजीत का दाखिला किसी प्ले वे ग्रुप या किसी बड़े इंटरनेशनल स्कूल में नहीं कराया है,

बल्कि उन्होंने अपने आवास के पास ही गांव दर्शना के आंगनबाड़ी केन्द्र में कराया है. डीएम का सवा दो साल का बेटा अभिजीत रोज गांव के ही आम बच्चों के साथ कई घंटे बिताता है.

उन्हीं बच्चों के साथ कतार में बैठकर आंगनबाड़ी उसे खाना खिलाती हैं और वह सभी बच्चों के साथ खेलता-कूदता है.

आंगनबाड़ी में सभी बच्चों के साथ एक समान व्यवहार होता है. डीएम के बेटे के दाखिले के बाद वहां बच्चों की संख्या बढ़ गई है. अब दर्शना के आंगनवाड़ी केन्द्र पर 34 बच्चे आते हैं.

बताते चलें कि जनपद में 1,712 आगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं जिनमें डेढ़ लाख बच्चे पंजीकृत हैं. दर्शना के आंगनबाड़ी केन्द्र में डीएम साहिबा का बेटा पढ़ता है.

डीएम मैडम ने अपने बेटे को आंगनबाड़ी में पढ़ाकर सभी को संदेश दिया है कि सरकारी स्कूलों में भी पढ़ाई अच्छी होती है. 

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