आईपीसी सीआरपीसी की जगह देश में लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों की खासियत

New Delhi: जैसा कि विगत कई महीनो से आईपीसी तथा सीआरपीसी को लेकर उधेड़बुन चल रहा था जिसमें कई धाराओं को बदलने की बात कही जा रही थी.

इसी क्रम में देखा जाए तो 51 वर्षों पुराने लागू किए गए CrPC की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), IPC की जगह भारतीय न्याय अधिनियम (BNS) तथा इंडियन एविडेंस एक्ट के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के प्रावधान लागू किए जाएंगे.

सबसे बड़ी खासियत यह है कि महिलाओं से जुड़े अधिकतर अपराधों में पहले से अधिक सजा दिए जाने का प्रावधान किया गया है. आज जिस गति से देश में इलेक्ट्रॉनिक तंत्र बढ़ते जा रहे हैं, उसको देखते हुए अब इलेक्ट्रॉनिक सूचना से भी एफआईआर दर्ज किया जा सकेगा.

लागू हुए इन तीनों कानून की खासियत को हम बिंदुवार देख सकते हैं:

  1. 1 जुलाई से पहले दर्ज हुए सभी मामलों में नए कानून का कोई असर नहीं होगा यानी कि उनकी जांच से लेकर ट्रायल तक पुराने कानून का ही हिस्सा होंगे.

2. 1 जुलाई से नए कानून के प्रभाव में आ जाने के बाद से यह सभी नियम जो जांच से लेकर ट्रायल तक जुड़े हुए हैं उसे पूरा किया जाएगा.

3. BNSS में कुल 551 धाराएं हैं, इसके 17.7 प्रावधानों में संशोधन किया गया है जबकि 14 धाराओं को हटा दिया गया है. इसके पहले सीआरपीसी में 484 धाराएं थी.

4. भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) में कुल 170 धाराएं हैं नए कानून में छह धाराओं को हटाया गया है. दो नई धाराएं और 6 उप धाराएं जोड़ी गई हैं. इसके पूर्व इंडियन एविडेंस एक्ट में 167 धाराएं मौजूद थीं.

5. इस नवीन कानून में ऑडियो वीडियो यानी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पर भी जोर दिया गया है. कहने का अर्थ है कि फोरेंसिक जांच को अहमियत दी गई है.

6. कोई भी नागरिक अपराध के सिलसिले में कहीं भी जीरो एफआईआर दर्ज करा सकेगा जिसकी जांच के लिए संबंधित थाने को भेजा जाएगा.

7. हत्या, लूट या रेप जैसी गंभीर धाराओं में भी एफआईआर करने की व्यवस्था की गई है. वॉइस रिकॉर्डिंग के जरिए भी पुलिस को सूचना दिया जा सकेगा.

8. हालांकि एफआईआर के मामले में फरियादी को 3 दिनों के भीतर थाने पहुंचकर इस कॉपी पर हस्ताक्षर करना जरूरी होगा.

9. एफआईआर के 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी जरूरी है तथा चार्जशीट दाखिल होने के 60 दिनों के भीतर कोर्ट को आरोप तय करने होंगे.

10. महिलाओं, बच्चों के विरुद्ध होने वाले अपराधों को रोकने के लिए गंभीर धाराएं बनाई गई हैं जिसके तहत कठोर कारावास उम्र कैद और जुर्माने का प्रावधान है.

11. गैंगरेप में पीडिता यदि व्यस्क है तो अपराधी को आजीवन कारावास की सजा होगी. वहीं 12 वर्ष से कम उम्र की पीड़िता के साथ बलात्कार की घटना पर अपराधी को न्यूनतम 20 वर्ष की सजा, आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया है.

12. शादी का झांसा देकर संबंध बनाने वाले अपराध को रेप से अलग अपराध माना जाएगा. पीड़ित को उसके कैसे से जुड़े हर अपडेट की जानकारी उसके मोबाइल नंबर पर एसएमएस के जरिए दी जाएगी तथा अपडेट करने की यह समय सीमा 90 दिन निर्धारित की गई है.

13. राज्य सरकार अब राजनीतिक कैसे जैसे पार्टी वर्कर्स की धरना प्रदर्शन और आंदोलन से जुड़े मामलों को एक तरफा बंद नहीं कर सकेंगे.

14. धरना, प्रदर्शन, उपद्रव में यदि फरियादी आम नागरिक है तो उसकी मंजूरी लेनी होगी. गवाहों की सुरक्षा का भी प्रावधान है. तमाम इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी कागजी रिकॉर्ड की तरह कोर्ट में मान्य होंगे.

15. मॉब लिंचिंग को अपराध के दायरे में लाया गया है जिसमें दोषी को 7 वर्ष की कैद या उम्र कैद अथवा फांसी की सजा दी जाएगी.

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