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BYTHE FIRE TEAM

भले ही भारत पड़ोसियों से संबंध सुधारने की कवायद हमेशा करता आया है परंतु चीन पर इसका कुछ असर होता नजर नहीं आ रहा है। एनडीटीवी की खबर के अनुसार अगस्त महीने में केवल उत्तराखंड में ही चीनी सेना भारतीय सीमा में 4 किलोमीटर तक तीन बार  घुस आई।

आपको बताते चलें कि मोदी सरकार के बनने के पश्चात चीन के राष्ट्रपति भी भारत आ चुके हैं और हमारे प्रधानमंत्री भी चीन जा चुके हैं जिसमें संबंध सुधारने की कवायद काफी तेज हुई थी लेकिन शायद चीन यह नहीं चाहता। क्योंकि एक तरफ तो चीन की सरकार भारत के साथ संबंध सुधारने की बात कर रही है लेकिन दूसरी तरफ चीन की सेना लगातार भारतीय सीमा में घुसपैठ की वारदात को अंजाम दे रही है।

एक खबर के अनुसार चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अगस्त माह में उत्तराखंड के बाराहोती सेंट्रल सेक्टर में तीन बार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी कि एलओसी का उल्लंघन किया।

चीनी सेना ने ना केवल एलओसी का उल्लंघन किया बल्कि वह भारतीय सीमा में 4 किलोमीटर अंदर तक आ गए थे।
अगस्त माह में घुसपैठ की इन खबरों से पहले जुलाई में ऐसी भी खबरें आई थीं कि इस साल चीनी सैनिकों के भारतीय सीमा में घुसपैठ की घटनाओं में 2017 के मुकाबले 20 प्रतिशत की कमी आई है।

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आपको बताते चलें कि जुलाई माह में भी चीनी सैनिकों ने उत्तराखंड के रास्ते भारतीय सीमा में घुसपैठ की थी जिसमें वह उत्तराखंड के चमोली जिले में बाराहोती सेक्टर में घुस आए थे। उत्तराखंड का यह इलाका एक गैर सैनिक इलाका है, यहां पर भारतीय सेना भी पेट्रोलिंग करती है लेकिन बिना किसी हथियार और यूनिफार्म के उसी तरह चीनी सेना भी यहां पेट्रोलिंग करती है।

आपको बताते चलें कि उत्तराखंड का यह विवादित स्थान दोनों देशों के चरवाहों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। दरसल यह एक सपाट मैदानी इलाका है।

इससे पहले अप्रैल माह में चीन ने यह मुद्दा उठाया था कि भारतीय सेना अरुणाचल प्रदेश के विवादित क्षेत्र में अंदर आई थी। हालांकि भारतीय सेना ने इससे इनकार किया था।

आपको बताते चलें कि भारत की बांग्लादेश के बाद सबसे ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय सीमा चीन से ही जुड़ी हुई है।
इस सीमा की कुल लंबाई लगभग 3488 किलोमीटर है इसमें भारत के 5 राज्यों की हिस्सेदारी है। इन राज्यों में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड़, सिक्किम तथा अरुणाचल प्रदेश आते हैं।

आपको बताते चलें कि जम्मू-कश्मीर के कुछ भाग पर चीन ने कब्जा कर रखा है। वहीं असफिला,डोकलाम जैसे विवाद वह उलझाता रहता है।

चीन और भारत के बीच सीमा को निर्धारित करने के लिए मैकमोहन रेखा खींची गई परंतु चीन उसको मानता ही नहीं है।

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