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कल्याणपुर (सूरजपुर): “भाजपा का नारा है 400 पार, लेकिन देश के मजदूर-किसानों का संकल्प है अबकी बार इस सरकार को तड़ीपार कराएंगे.

किसानों-मजदूरों के खिलाफ काम करने वाली और अपने वादों को जुमला बताने वाली भाजपा को सत्ता से हटाकर देश को बचाना जरूरी है.”

ये बातें किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव विजू कृष्णन ने एक आम सभा को संबोधित करते हुए कहा है. बता दें कि अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध

छत्तीसगढ़ किसान सभा का 5वां राज्य सम्मेलन सूरजपुर जिले के कल्याणपुर में उत्साही भागीदारी वाली आम सभा के साथ शुरू हुआ.

इस सम्मेलन में पूरे राज्य से चुने गए 200 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं, जो राज्य में खेती-किसानी की समस्याओं पर चर्चा करेंगे और एक वैकल्पिक नीति

के आधार पर किसान आंदोलन को व्यापक बनाने और संगठन को मजबूत करने के बारे में फैसला करेंगे. आम सभा और सम्मेलन के खुले सत्र को संबोधित करते हुए

विजू कृष्णन ने कहा कि मोदी और भाजपा ने किसानों को सकल लागत सी-2 का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने और उनको कर्ज मुक्त करने का वादा किया था.

किन्तु सत्ता में आने के बाद उनके वादे जुमले बन गए. अपने वादों को पूरा करने के बजाए उन्होंने तीन कृषि विरोधी कानूनों को लाया,

सवा साल तक पूरे देश में किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा बनाकर संघर्ष किया और इन कानूनों को शिकस्त दी. इन कानूनों को वापस लेते हुए किसान आंदोलन के साथ

मोदी और भाजपा सरकार ने जो वादा किया था, उसे भी पूरा करने से इंकार कर दिया. आज किसान फिर सड़कों पर है और 14 मार्च को

दिल्ली में विशाल मजदूर-किसान महापंचायत हो रही है. यह पंचायत भाजपा के ताबूत पर आखिरी कील गाड़ेगी और उसको सत्ता से निर्णायक रूप से बाहर करेगी.

किसान सभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव और छत्तीसगढ़ प्रभारी अवधेश कुमार ने आम सभा को संबोधित करते हुए कहा कि

रोजी-रोटी की समस्याओं पर हो रहे संघर्षों को कमजोर करने के लिए भाजपा धर्म के नाम पर नफरत की राजनीति कर रही है.

संविधानिक मूल्यों पर हमला करते हुए संसद को उसने पंगु बना दिया है. वह देश को फासीवादी रास्ते पर ले जाना चाहती है और देश में मनुवाद के आधार पर

वर्ण व्यवस्था लागू करना चाहती है. भाजपा के हिंदुत्व का यही मतलब है. इसलिए आज देश में लोकतंत्र और संविधान को बचाने की बड़ी लड़ाई लड़ी जा रही है.

इस लड़ाई में अडानी-अंबानी के हाथों देश को बेचने वालों की निश्चित रूप से हार होगी. छत्तीसगढ़ में जल, जंगल, जमीन और प्राकृतिक संसाधनों की

लूट के खिलाफ चल रहे संघर्षों की ओर आम जनता का ध्यान आकर्षित करते हुए छत्तीसगढ़ किसान सभा के संयोजक संजय पराते ने कहा कि

भाजपा की किसान विरोधी नीतियों की सबसे बड़ी मार आदिवासियों, दलितों और लघु व सीमांत किसानों पर पड़ रही है.

अपनी छोटी आबादी के साथ किसान आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ देश में पांचवे स्थान पर है.  प्रदेश का किसान कर्ज में डूबा है,

वह भूमि से विस्थापित हो रहा है लेकिन भाजपा सरकार के पास उसको दुर्दशा से निकालने का कोई उपाय नहीं है. भाजपा की कॉरपोरेटपरस्त कृषि विरोधी नीतियों का विकल्प

केवल वामपंथ के पास है और छत्तीसगढ़ में भी मजदूर-किसानों की व्यापक एकता के आधार पर भाजपा को परास्त किया जाएगा.

इस आमसभा का संचालन किसान सभा के सह संयोजक ऋषि गुप्ता ने किया जबकि खुले सत्र को सीटू के राज्य महासचिव एम के नंदी,

आदिवासी एकता महासभा के महासचिव बाल सिंह, एटक के किरण सिन्हा, छत्तीसगढ़ पेंशनर्स कल्याण संघ के अनंत सिन्हा, लघु वेतन कर्मचारी संघ के सुजान विंद तथा लॉयर्स यूनियन के संजय सिंह ने संबोधित किया.

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