tribune india

उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में लगातार अप्रत्याशित अप्रत्याशित बाढ़ के कारण बड़े स्तर पर तबाही का मंजर देखा गया है.

इसकी वजह से इस समय नैनीताल में स्थित सुरम्य झील नैनी भी इस तबाही की चपेट में आ गई है. यहां कभी बाढ़ की विभीषिका अपना कहर बरसा रही है

तो कभी सूखे की स्थिति के कारण संकट की गंभीर बातें छात्र चले जा रहे हैं. यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि

वर्ष 2016 और 2017 में नैनी झील सूखने के कगार पर पहुंच चुकी थी जबकि वहीं यहां बाढ़ आने के कारण ना केवल यह झील बल्कि अनेक दुकानें,

मकान और सड़कें तबाह हो गए हैं. यहां तक कि बाढ़ के दौरान दुकानों, मकान और होटलों में फंसे लोगों को सेना की मदद से बचाया गया है.

दरअसल नैनीताल एक पर्यटक स्थल है जिसके कारण यहां हजारों नहीं लाखों की संख्या में पर्यटक इस पहाड़ी जगह देखने और यहां की चीजों का लुत्फ़ लेने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से सैलानी के रूप में आते हैं.

ऐसे में इन पर्यटकों के रहने, उनके खानपान की व्यवस्था करने, गाड़ियों का रखरखाव को ध्यान में रखकर इन्फ्रास्ट्रक्चर का कार्य धड़ल्ले से चल रहा है.

यद्यपि कि विकास के नाम पर हो रहा जमीनों का अधिग्रहण, होटलों का निर्माण आदि से जुड़े मानकों को ताक पर रख दिया गया है, उसी का नतीजा हमें देखने को मिल रहे है.

विभाग के कार्यपालक अभियंता केएस चौहान ने भी बताया है कि नैनीताल की खोज अंग्रेजों ने की थी उसके बाद यहां बस्तियों का निर्माण किया जाने लगा तथा झील के किनारे-किनारे अनेक छोटी-छोटी दुकानें खुल गई हैं.

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here