BY– THE FIRE TEAM
सीबीआई फोन टेपिंग प्रकरण राजनीतिक भूचाल खड़ा कर रहा है. खबरों के अनुसार फोन टेपिंग प्रकरण में मोदी सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री के भी नाम हैं।
नई दिल्ली : सीबीआई फोन टेपिंग प्रकरण राजनीतिक भूचाल खड़ा कर रहा है. खबरों के अनुसार फोन टेपिंग प्रकरण में मोदी सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री के भी नाम हैं. इस मामले में कथित रूप से तीन केंद्रीय मंत्रियों और दो मुख्यमंत्री सहित 34 वीवीआईपी शामिल बताये गये हैं.
इनमें एक मंत्री तो लालू यादव केस में सीधे सीबीआई अफसर को निर्देश देते हुए सुने गये हैं. इस क्रम में एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री नीरव मोदी व विजय माल्या की पैरवी करते नजर आ रहे हैं.
सूत्रों के हवाले से सामने आ रहा है कि सीबीआई के ही एक उच्चाधिकारी द्वारा किसी दूसरे राज्य की स्पेशल पुलिस इकाई से कुछ अधिकारियों का फोन टेप कराने का प्रयास किया गया था.
एनएसए अजीत डोभाल का फोन टेप होने की बात पर सीबीआई से कुछ दिन पूर्व ट्रांसफर हुए एक अधिकारी का दावा है कि सीबीआई के भीतर से एनएसए अजीत डोभाल का फोन टेप नहीं हुआ है.
किसी अन्य मामले में फोन टेपिंग के दौरान जो बातचीत रिकॉर्ड हुई है, उसमें केवल उनका नाम लिया गया है. यह बात जरूर थी कि डोभाल की जिस अधिकारी से बातचीत हुई थी, उनका फोन सर्विलांस पर लगा था. हालांकि उक्त अफसर ने इस बात से इनकार नहीं किया है कि अन्य किसी सरकारी एजेंसी ने डोभाल का फोन टेप किया है.
सीबीआई प्रकरण में सीबीआई अधिकारी एमके सिन्हा के हलफनामे से नये खुलासे होने की संभावना बन रही है. खबरों के अनुारी सीबीआई अधिकारी एमके सिन्हा ने अपने हलफनामे में एक मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और एक सचिव स्तर के अफसर पर सीधे तौर से सीबीआई में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है.
सूत्रों के अनुसार सीबीआई की टेलीफोन टेपिंग इकाई (स्पेशल यूनिट) के जरिए कई और बड़े लोगों का नाम सामने आयेंगे. जिन्होंने समय-समय पर जांच एजेंसी के निदेशक, स्पेशल निदेशक, ज्वाइंट डायरेक्टर और यहां तक कि चार-पांच बड़े मामलों में जांच अधिकारीके साथ भी बातचीत करने से परहेज नहीं किया.
लालू यादव के केस में केंद्रीय मंत्री ने चार्जशीट दाखिल करने से पहले सलाह लेने का निर्देश दिया
बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के केस में एक केंद्रीय मंत्री ने चार्जशीट दाखिल करने, कोर्ट में कोई जवाब फाइल करने या गिरफ्तारी जैसा कदम उठाने से पहले उनसे सलाह लेने का निर्देश दिया था. बताया गया है कि सीबीआई अधिकारियों ने दो बार उक्त मंत्री के पास केस की फाइलें भिजवाई थी.
केस की जांच से जुड़े एक सूत्र का दावा है कि मंत्री निदेशक से मिलना भी चाहते थे. हालांकि निदेशक एवं केस के जांच अधिकारी ने साफ इनकार कर दिया था. मोईन कुरैशी केस के अलावा नीरव मोदी और विजय माल्या के केस में मंत्री की कथित बातचीत सामने आयी है.
प्रवर्तन निदेशालय के मामलों में रुचि दिखाने वाले एक कैबिनेट मंत्री का नाम भी सीबीआई में हस्तक्षेप करने वाले नेताओं की सूची में दर्ज है. सेवानिवृत्ति के बाद केंद्र में बड़े ओहदे पाने वाले दो पूर्व आईपीएस अधिकारी भी सीबीआई की कार्यप्रणाली में लगातार रहस्तक्षेप करते रहे हैं.
बता दें कि सीबीआई अधिकारी एमके सिन्हा ने तो सीवीसी पर ही आरोप लगाया है. साथ ही उनके जैसे ओहदे पर बैठे एक अन्य अधिकारी भी जांच-एजेंसी को निर्देश देते पाये गये हैं. सूत्रों के अनुसार सिन्हा के हलफनामे में कानून मंत्रालय के सचिव का नाम भी है. मामले में केंद्र सरकार के चार ज्वाइंट सेक्रेटरी भी शामिल हैं.
फोन टेप का प्रयास सीबीआई के दोनों खेमों से
जानकारी के अनुसार निदेशक आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच का झगड़ा जब चरम पर था, उस समय सीबीआई के बड़े अधिकारी ने दूसरे राज्य की पुलिस द्वारा सीबीआई में कार्यरत अफसरों का फोन टेप कराने का प्रयास किया था.
सूत्रों के अनुसार फोन टेप का प्रयास सीबीआई में दोनों खेमों की ओर से किया गया है. बताया जाता है कि जांच एजेंसी के दूसरे बड़े अधिकारी ने दूर के राज्य की स्पेशल इकाई को कुछ मोबाइल नंबर भी दिये थे. सीबीआई के एकअफसर को जब अपने यहां की स्पेशल यूनिट से मदद नहीं मिली तो उन्होंने दूसरे राज्य में संपर्क किया था.
बताया जाता है कि उक्त सीबीआई अधिकारी के संबंधित राज्य के पुलिस मुखिया के साथ घनिष्ठ संबंध रहे हैं. उनकी नियुक्ति में भी सीबीआई के उक्त अधिकारी का हाथ रहा है. इसी मामले में एक राज्य के मुख्यमंत्री से भी मदद मांगी गयी थी.
बता दें कि सीबीआई के अलावा केंद्र की अन्य जांच इकाइयां और राज्य पुलिस को जरूरत पड़ने पर आरोपी या शिकायतकर्ता के फोन टेप करने का अधिकार है. सूत्रों के अनुसार यदि बड़े किसी अधिकारी का फोन टेप करना होता है तो उसके लिए गृह मंत्रालय की इजाजत पड़ती है. हालांकि आपात स्थिति में बिना किसी मंजूरी के भी टेपिंग की जा सकती है. इसके लिए सर्विस प्रोवाइडर को लिखित में दे दिया जाता है कि संबंधित अधिकारी से 15 दिनों के अंदर इजाजत ली जायेगी.
सुप्रीम कोर्ट के वकील सुरेन उप्पल ने 2016 में एक जनहित याचिका में एस्सार ग्रुप पर आरोप लगाया था है कि ग्रुप ने 2001 से 2006 तक एनडीए और यूपीए सरकार के कई कैबिनेट मंत्रियों का फोन टेप कराया था. उन्होंने मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी जैसे कारोबारी दिग्गजों का फोन भी टेप होने की बात कही थी.
सुरेन उप्पल ने कहा था कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान पीएमओ में कार्यरत एक अधिकारी का भी फोन टेप किया गया था. बता दें कि सुरेन उप्पल एस्सार ग्रुप के उस कर्मचारी के वकील रहे हैं, जिस पर कथित तौर पर फोन टैपिंग का आरोप लगा था. इतना ही नहीं, वकील की शिकायत के अनुसार तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु, पूर्व मंत्री प्रफुल्ल पटेल, राम नाईक, अनिल अंबानी की पत्नी टीना अंबानी और कई टॉप ब्यूरोक्रेट्स के फोन टेप किये गये थे. साथ ही सपा नेता अमर सिंह, तत्कालीन सीनियर नौकरशाह और यहां तक कि गृह सचिव राजीव महर्षि का भी नाम सामने आया था. एनडीए सरकार में मंत्री रहे प्रमोद महाजन का फोन भी टेप किया गया था.
टेलीकॉम लाइसेंसिंग के सिलसिले में भी कई लोगों के फोन सर्विलांस पर थे. हालांकि एस्सार ग्रुप ने अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया था. पिछले साल भी सीबीआई पर कथित रूप से एक केंद्रीय मंत्री का फोन टेप करने का आरोप लगा था. बाद में सीबीआई ने इस आरोप को पूरी तरह से झूठा और दुर्भावनापूर्ण बताया था.
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला
सीबीआई डीआईजी एमके सिन्हा के दावों को लेकर कांग्रेस ने न मोदी सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार की नाक के नीचे मंत्री घूस ले रहे हैं.
पीएमओ से मंत्री चोरों को बचाने के लिए दबाव डाल रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी बतायें कि करोड़ों की घूस लेकर केंद्रीय कोयला और खान राज्यमंत्री हरिभाई चौधरी ने पीएमओ के किस मंत्री के जरिए सीबीआई पर आरोपियों को बचाने का दबाव बनाया था.
एनएसए अजीत डोभाल पर उठे सवालों पर कहा कि सीबीआई अधिकारी के हलफनामें के अनुसार एक आरोपी को जब पकड़ा गया तो उसने अजीत डोभाल के नाम की धौंस दिखाई.