photo:PTI(Ankiv Biasoya)
BYTHE FIRE TEAM

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को बड़ा झटका लगा है। हाल ही में हुए दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के चुनाव जीतकर नवनिर्वाचित अध्यक्ष बने अंकिव बसोया की डिग्री कथित तौर पर फर्जी पाई गई है। आपको बता दें कि अंकिव ने 1744 मतों के अंतर से अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की है। अंकिव बसोया की डिग्री पर कांग्रेस की छात्र इकाई भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) ने सवाल उठाए हैं।

दरअसल, नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) ने अंकिव बसोया पर आरोप लगाया है कि उन्होंने यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया है। वहीं, एबीवीपी का कहना था कि बसोया की ओर से जमा किए गए दस्तावेजों की उचित जांच-पड़ताल के बाद ही यूनिवर्सिटी ने उन्हें दाखिला दिया था।

इस बीच एक ऐसी खबर आई है कि जिससे अंकिव बसोया की मुश्किलें और बढ़ गई है। दरअसल, अंकिव ने जिस डिग्री का इस्तेमाल कर डीयू में दाखिला लिया था वह उस यूनिवर्सिटी की है ही नहीं। तमिलनाडु के विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार से कहा है कि डूसू के अध्यक्ष अंकिव बसोया उनके छात्र नहीं रहे हैं।

Ankit Baisoya Fake degree
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा तमिलनाडु सरकार के मुख्य सचिव को लिखा गया पत्र

तमिलनाडु यूनिवर्सिटी ने भी की पुष्टि

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु के विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार से कहा कि डूसू के अध्यक्ष अंकित बैसोया उनके छात्र नहीं है। दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए नकली दस्तावेज दिखाने के मामले के तूल पकड़ने के बाद तमिलनाडु के विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार को यह जानकारी दी।

तमिलनाडु सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वेल्लोर स्थित तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय ने तमिलनाडु उच्च शिक्षा विभाग को लिखा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता ने ना ही इस विश्वविद्यालय या इसके किसी भी घटक या संबद्ध कॉलेज में दाखिला नहीं लिया था। उन्होंने कहा, ‘हां , उन्होंने यह लिखित में दिया है।’

बैसोया ने हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में अध्यक्ष पद का चुनाव जीता था। एनएसयूआई द्वारा उनके नकली दस्तावेज देने का आरोप लगाने के बाद इस मामले ने तूल पकड़ा। एनएसयूआई की ओर से मांगी गई जानकारी पर तिरुवल्लुवर यूनिवर्सिटी ने बताया था कि बसोया की ओर से सौंपा गया बी.ए का प्रमाण-पत्र ‘फर्जी’ है।

आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी

एनएसयूआई ने कहा कि एम.ए (बौद्ध अध्ययन) में दाखिले के लिए बसोया की ओर से एक मार्कशीट पेश की गई थी, लेकिन तिरुवल्लुवर यूनिवर्सिटी ने ऐसे किसी नाम के छात्र को दाखिला देने की बात से इनकार कर दिया था। यूनिवर्सिटी ने कहा था कि उस सीरियल नंबर की मार्कशीट उनके रिकॉर्ड में नहीं है। एक बयान में एबीवीपी ने एनएसयूआई के आरोप को ‘दुष्प्रचार’ करार दिया।

एबीवीपी ने कहा, ‘दस्तावेजों की उचित जांच-पड़ताल के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी ने अंकिव बसोया को दाखिला दिया।
यह दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रक्रिया है। आज भी डीयू को यूनिवर्सिटी में अध्ययनरत किसी भी छात्र के दस्तावेजों की जांच-पड़ताल का अधिकार है, लेकिन किसी व्यक्ति को प्रमाण-पत्र देना एनएसयूआई का काम नहीं है’।

आरएसएस के छात्र संगठन ने कहा, ‘डीयू को न सिर्फ अंकिव बल्कि डूसू के सभी पदाधिकारियों के दस्तावेज की जांच का अधिकार है ताकि भविष्य में अफवाहों पर लगाम लग सके’। पिछले हफ्ते संपन्न हुए डूसू के चुनाव में एबीवीपी को अध्यक्ष सहित तीन पदों पर जीत मिली थी, जबकि एनएसयूआई ने सचिव पद पर जीत हासिल की थी।

तीन सीटों पर एबीवीपी का कब्जा

13 सितंबर को आए डूसू चुनाव परिणामों में चार प्रमुख पदों में एबीवीपी की अंकिव बसोया ने 1744 मतों के अंतर से अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की। इसी संगठन के शक्ति सिंह को उपाध्यक्ष घोषित किया गया है। उन्होंने 7673 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। एनएसयूआई के आकाश चौधरी सचिव पद पर जीतने में कामयाब रहे वहीं संयुक्त सचिव पद एबीवीपी की ज्योति को मिला है।

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