BY– THE FIRE TEAM
नई दिल्ली: मोदी सरकार के लिए बुरी खबर है। रोजगार के क्षेत्र की थिंक टैंक मानी जाने वाली संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (CMIE) ने दावा किया है कि इस साल अक्टूबर में बेरोजगारी दर 6.9 फीसदी पर पहुंच गई है, जो पिछले दो साल में सबसे अधिक है।
CMIE के मुताबिक, अक्टूबर 2017 में 40.7 करोड़ लोग जॉब कर रहे थे, अक्टूबर 2018 में इनकी संख्या घटकर 39.7 करोड़ पहुंच गई।
3 करोड़ लोग खोज रहे हैं जॉब:
इस रिपोर्ट में CMIE ने कहा है कि सक्रिय रूप से नौकरी की तलाश कर रहे बेरोजगारों की संख्या में पिछले साल की तुलना में दोगुनी वृद्धि हुई है। साल 2017 में 1.4 करोड़ लोग सक्रियता से जॉब खोज रहे थे, जबकि उसके मुकाबले यह संख्या अब 2.95 करोड़ पर पहुंच चुकी है।
अगर अक्टूबर 2017 की बात करें तो सक्रियता से जॉब खोजने वाले युवाओं की संख्या 2.16 करोड़ पर थी।
CMIE के मुताबिक, लेबर पार्टिसिपेशन रेट ( श्रम सहभागिता दर, काम करने के इच्छुक नागरिकों के अनुपात का माप) जनवरी 2016 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। यह इस समय 42.2 फीसदी पर है। CMIE के मुताबिक श्रम सहभागिता दर नोटबंदी के बाद तेजी (47-48%) से गिरी है और इसमें अब तक सुधार नहीं हो रहा है।
थिंक टैंक के मुताबिक, श्रम के आंकड़ों में सितंबर में कुछ सुधार आया था, लेकिन वह टिक नहीं पाया। इस साल के अक्टूबर महीने में पहले की तरह लेबर मार्केट में कमजोरी दर्ज की गई है।
CMIE के मुताबिक, अक्टूबर 2018 में देश में 39.7 करोड़ लोगों के पास रोजगार था। यह अक्टूबर 2017 में जॉब कर रहे 40.7 करोड़ लोगों की संख्या से 2.4 फीसदी कम है। रोजगार दर में यह तेज गिरावट चिंता की सबसे बड़ी वजह है।
CMIE के ताजा आंकड़ों पर CIEL एचआर सर्विसेज के सीईओ आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा, “परंपरागत रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था में अक्टूबर से दिसंबर का समय रोजगार सृजन का होता है. अगर इस समय आंकड़े इस तरह के आ रहे हैं तो यह श्रम की मांग-आपूर्ति का अंतर चिंता की बड़ी वजह है। मिश्रा के मुताबिक, हर साल करीब 1.2 करोड़ लोग भारत के जॉब मार्केट में आते हैं, लेकिन रोजगार के मौके इसके हिसाब से नहीं बन पा रहे हैं।
क्या कारण रहे:
मिश्रा ने कहा कि देश के कोर सेक्टर का प्रदर्शन, एनबीएफसी द्वारा लोन बांटने में सख्ती जैसे कारण कम जॉब के पीछे मुख्य वजह हो सकते हैं। इस अवधि में देश की आईटी इंडस्ट्री ने भी अधिक रोजगार नहीं दिया।