BY- THE FIRE TEAM
भारतीय सेना ने काम में फालतू दखल देने का लगाया आरोप
भारतीय रिज़र्व बैंक और मोदी सरकार के बीच तकरार की स्थिति अभी थमीं नहीं थी कि मोदी सरकार के खिलाफ भारतीय सेना के असंतोष की खबरें भी आने लगी हैं. सेना से जुड़े सारे 62 कैंटोनमेंट के शुरू होने के साथ ही विवाद भी शुरू हो गया है.
भारतीय सेना में इसके चलते असंतोष की खबरें आ रही हैं. सेना का कहना है कि सरकार कैंट से जुड़े मामलों में बेवजह ही दखल दे रही है.
ये विरोध रक्षा मंत्रालय की उस विशेषज्ञ समिति को लेकर शुरू हुआ जो कि सोमवार को ही पुणे के दौरे पर जाने वाली है. इस समिति का अध्यक्ष पद पर रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सुमित बोस को सौंपा गया है.
इस मामले में इंडिया टुडे टीवी की खबर के अनुसार रक्षा मामलों से जुड़े जमीन के पट्टों के फैसले में बोस ‘अहम बदलाव’ करने वाले हैं. इसी को लेकर सेना के अधिकारियों में असंतोष की खबर आ रही है.
इस तरह की समिति बनाने और बदलावों को लेकर सेना के सूत्रों का कहना है कि कोई फैसला लेने या कोई पूर्व के फैसलों में बदलाव करने से पहले भारतीय सेना से सरकार ने कोई सलाह नहीं ली है.
इस बारे में लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) के.एस कामत ने इंडिया टुडे से कहा, ”यह काफी दुखद है. डिफेंस इस देश की रीढ़ है. कम से कम फैसले लेने वक्त आर्मी से पूछना चाहिए था.”
इतना ही नहीं सूत्रों ने ये भी आरोप लगाया कि घोटाले में फंसे डायरेक्टरेट जनरल ऑफ डिफेंस एस्टेट्स (डीजीडीई) को बचाने के लिए आर्मी कैंटोनमेंट बोर्ड में बदलाव की तैयारी की जा रही है.
गौरतलब है कि डीजीडीई रक्षा से जुड़े लाखों करोड़ रुपए के जमीन के पट्टों का प्रबंधन करता है. यह विभाग कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौरान भी काफी चर्चा में रहा था. उस दौरान इस पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे जिसके बाद 2010 में यूपीए सरकार इसे भंग करने की तैयारी में थी.
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इसी के साथ सूत्रों ने ये भी आरोप लगाया है कि कैंट बोर्ड में ‘आधुनिकीकरण’ के नाम पर डीजीडीई को कुछ ज्यादा ही शक्तियां दी जा रही हैं.
मेजर जनरल पीके सहगल का कहना है कि कैंट से जुड़े बड़े और अहम फैसले आर्मी की सलाह के बिना नहीं किये जाने चाहिए. गौरतलब है कि रक्षा से जुड़ी जमीन का मालिकाना हक रक्षा मंत्रालय के पास होता है, जबकि इसका प्रबंधन डीजीडीई करता है. इस जमीन का उपयोग आर्मी द्वारा किया जाता है लेकिन आर्मी से किसी बदलाव के बारे में कोई सलाह न लिया जाना विवाद का विषय बन गया है.
इस पूरे प्रकरण एक अधिकारी ने कहा, ”डिफेंस की प्रॉपर्टी से जुड़े कुछ अधिकारी कैंट के भ्रष्टाचार में शामिल हैं. सीबीआई ने इस बाबत दर्जनों केस दर्ज किए हैं. पुलिस भी यह मानती है कि डिफेंस की जमीन भ्रष्टाचारियों के लिए सोने की खान से कम नहीं.”