BY-THE FIRE TEAM
खुद कृषि मंत्री ने संसद में किसानों की आत्महत्या के सम्बन्ध में यह चौकाने वाला बयान दिया है. कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने संसद को मंगलवार को बताया कि ऐसे आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो रखता है.
जबकि केंद्र की मोदी सरकार के पास पिछले तीन वर्षों में किसानों की मौत का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.
मगर, एनसीआरबी ने 2016 से ऐसे आंकड़े जारी ही नहीं किए हैं. दरअसल, तृणमूल कांग्रेस के सांसद दिनेश त्रिवेदी ने 2016 से अब तक आत्महत्या करने वाले किसानों के बारे में सरकार से सवाल पूछा था.
जिसका जवाब देते हुए कृषि मंत्री ने यह जानकारी दी, सिंह ने जवाब देते हुए बताया कि गृहमंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एनसीआरबी ऐसे आंकड़ों को एकत्र करने के साथ उन्हें प्रचारित करता है.
2015 तक किसानों की आत्महत्या के आंकड़े एनसीआरबी की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. अभी तक 2016 की रिपोर्ट वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं हुई है.
2015 के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक कुल 8 हजार किसानों ने आत्महत्या की. महाराष्ट्र में सर्वाधिक 3030 किसानों ने जान दी. इसके अलावा तेलंगाना में 1358, कर्नाटक में 1197 वहीं 4500 कृषि मजदूरों ने सुसाइड किया.
ज्यादातर आत्महत्या की घटनाएं कर्ज या फिर दिवाला निकल जाने के कारण हुईं. इसको लेकर 2016 से अब तक कई किसान आंदोलन हो चुके हैं.
पिछले साल मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों के आंदोलन के दौरान पुलिस की गोलीबारी से पांच किसानों की मौत हो गई थी. हालांकि 2016 से अब तक किसानों की आत्महत्या के आंकड़ें एनसीआरबी ने नहीं एकत्र किए.
अभी हाल में कृषि मुद्दों पर मुखर होकर आवाज उठाने वाले पत्रकार पी साईंनाथ भी दिल्ली में किसानों के मार्च में शामिल हुए थे. बता दें कि 2014 में एनसीआरबी ने 5650 किसानों की आत्महत्या के आंकड़े प्रदर्शित किए थे.