BY-THE FIRE TEAM
भारत की विज्ञानं- प्रौद्यौगिकी के क्षेत्र में उन्नति का ही परिणाम है कि जो देश पहले किसी समय दूसरे देशों के सहारे अपने उपग्रहों को लॉन्च करता था,
अब वह स्वयं उनके उपग्रहों को लॉन्च को छोड़ रहा है वह भी अमेरिका जैसे देश का भी. प्राप्त जानकारी के मुताबिक- भारत 29 नवंबर को श्रीहरिकोटा से अपने पीएसएलवी-सी43 राकेट का प्रक्षेपण करेगा.
यह राकेट पृथ्वी का निरीक्षण करने वाले भारतीय उपग्रह एचवाईएसआईएस और 30 अन्य सेटेलाइटों को अपने साथ अंतरिक्ष ले जाएगा जिनमें 23 अमेरिका के होंगे.
भारतीय अंतरिक्ष अनुंसान संगठन (इसरो) ने कहा कि पीएसएलवी की 45वीं उड़ान श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र के प्रथम प्रक्षेपण स्थल से भरी जाएगी.
उसने कहा, ‘‘एचवाईएसआईएस पृथ्वी के निरीक्षण के लिए इसरो द्वारा विकसित किया गया है. यह पीएसएलवी-सी43 का प्राथमिक उपग्रह है.”
# GSAT 29 launched successfully using
# The satellite will start functioning from 8:35 tomorrow morning, said ISRO director K.Sivan.
# Chandrayaan-2 will be launched using GSLV Mk- III in Jan 2019, said K.Sivan.
# In the next 2 weeks PSLV C-43 will be launched using GSLV Mk III. pic.twitter.com/PzxidFxlut— Harinee (@harineesekaran) November 14, 2018
इसरो ने कहा कि उपग्रह 636 किमी घ्रुवीय सूर्य समन्वय कक्ष (एसएसओ) में 97.957 डिग्री के झुकाव के साथ स्थापित किया जाएगा. उपग्रह की अभियानगत आयु पांच साल है.
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि एचवाईएसआईएस का प्राथमिक लक्ष्य इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वर्ण पट (स्पेक्ट्रम) के समीप इंफ्रारेड और शार्टवेव इंफ्रारेड क्षेत्रों में पृथ्वी की सतह का अध्ययन करना है.
एजेंसी ने कहा कि एचवाईएसआईएसमें एक माइक्रो और 29 नेनो सेटेलाइट होंगे. ये उपग्रह आठ विभिन्न देशों के हैं. इन सभी उपग्रहों को पीएसएलवी-सी43 की 504 किमी वाली कक्षा में स्थापित किया जाएगा.
जिन देशों के उपग्रह भेजे जाएंगे उनमें अमेरिका (23 सेटेलाइट) तथा आस्ट्रेलिया, कनाडा, कोलंबिया, फिनलैंड, मलेशिया, नीदरलैंड एवं स्पेन (प्रत्येक का एक उपग्रह) शामिल हैं.
एजेंसी ने कहा कि इन उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए इसरो के वाणिज्यिक अंग एंट्ररिक्स कार्पोरेशन लि. के साथ वाणिज्यक करार किया गया है. पीएसएलवी इसरो का तीसरी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है.
(इनपुट भाषा से)