भारत चरमपंथ से तीसरा सबसे अधिक प्रभावित देश

 

BY- THE FIRE TEAM

अमरीकी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए सर्वेक्षण के अनुसार भारत के सम्बन्ध में बहुत ही चौकाने वाली रिपोर्ट पेश की गई है. इसके मुताबिक  चरमपंथ से प्रभावित देशों की इस सूची में सबसे ऊपर इराक़ है और उसके बाद अफ़ग़ानिस्तान का नंबर है.

भारत लगातार दूसरे साल इस सूची में तीसरे स्थान पर है.

बीबीसी हिंदी न्यूज़ के मुताबिक आंकड़े जुटाने वालों ने इस्लामिक स्टेट को सबसे ख़तरनाक चरमपंथी समूह माना है. उसके बाद तालिबान और अल शबाब  का नंबर आता है जबकि प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (एम) को चौथे स्थान पर जगह दी गई है.

इस सम्बन्ध में गौरतलब पहलू यह है कि साल 2015 तक चरमपंथ से सबसे अधिक प्रभावित देशों में पाकिस्तान तीसरे स्थान पर था.

आपको बताते चलें कि चरमपंथ की राह पर सबसे अधिक कश्मीरी युवाओं के कदम बढ़े हैं जिसके लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदाई समझे जा रहे हैं, मसलन –

कश्मीर घाटी में मौजूद विश्लेषकों का मानना है कि भारत सरकार की ओर से राजनीतिक पहल नहीं होने की वजह से चरमपंथी आंदोलन गति पकड़ता जा है.

केंद्र सरकार और कश्मीरी आवाम के बीच बातचीत की कोशिश अपनी विश्वसनीयता पहले ही खो चुकी है.

भारत-पाकिस्तान के बीच और भारत के साथ कश्मीरी पृथकतावादियों की इस तरह की 150 से अधिक दौर की बातचीत हो चुकी है. लेकिन ऐसी हर कोशिश के बाद हत्याएं और गिरफ्तारियां बढ़ी हैं.

भारत सरकार ने सभी पक्षों से बातचीत के लिए एक पूर्व ख़ुफ़िया अधिकारी दिनेश्वर शर्मा को अपना आधिकारिक वार्ताकार बनाया, लेकिन पृथकतावादियों और चरमपंथियों ने इस पहल को एक ‘मज़ाक’ माना.

जम्मू कश्मीर इस समय राजनीतिक अस्थिरता की चपेट में है तथा राज्य पर  केंद्र सरकार का सीधा नियंत्रण है. दूसरी ओर सूबे की अवाम ग़ुस्से से भरी हुई है.

सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में हिज़्बुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद चरमपंथ की राह पर जाने वाले कश्मीरी युवाओं की संख्या बढ़ी है क्योंकि ये युवा उसे अपना रोल मॉडल मान बैठे हैं.

साथ ही बुरहानवनि के प्रभाव वाले क्षेत्रों -सोपोर, कुपवाड़ा, शोपियां, कुलगाम और पुलवामा आदि से युवाओं का पलायन इस ओर हुआ है. ये सुरक्षा बलों तथा देश की एकता अखंडता के लिए बड़ी चुनौती सिद्ध हुए हैं.

ऐसी विषम परिस्थिति को तत्काल नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता है तभी एक स्वस्थ भारत का निर्माण किया जा सकता है.

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