BY-THE FIRE TEAM
नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को हल करने के लिए ‘एकजुट’ काम करने की जरूरत पर जोर देते हुए रविवार को कहा कि शांति का मतलब महज ‘युद्ध न होना’ नहीं है.
आपको बताते चलें कि प्रधानमंत्री ने अपने इस वक्तव्य के माध्यम से भारत की प्राचीन सांस्कृतिक पहचान को दिखाया। सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया वाला हमारा देश दुनिया में अपनी उदारता के लिए विश्व प्रसिद्ध है.
पीएम मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 49वें संस्करण में कहा, “गरीबों में सबसे गरीब का विकास शांति का असल सूचक है.”
उन्होंनेअपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जहां कहीं भी विश्व शांति की बात होगी, भारत का नाम और उसका योगदान सुनहरे अक्षरों में लिखा होगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भले ही भारत का प्रथम विश्व युद्ध के साथ सीधे तौर पर कोई लेना-देना नहीं था लेकिन यह एक महत्वपूर्ण घटना थी क्योंकि भारतीय सैनिकों ने इसे बहादुरी से लड़ा और अपने जीवन का बलिदान कर बहुत बड़ी भूमिका निभाई.
पीएम मोदी ने कहा, “भारतीय सैनिकों ने दुनिया को दिखाया कि अगर युद्ध की बात आती है तो वे किसी से पीछे नहीं हैं. हमारे सैनिकों ने कठिन क्षेत्रों और प्रतिकूल परिस्थितियों में अदम्य साहस दिखाया है.
इसके पीछे एक ही उद्देश्य रहा है- शांति बहाल करना. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान दुनिया ने मृत्यु और विनाश का जो नृत्य देखा वह बहुत ही डरावना और दिल को दहला देने वाला रहा है. मानवता के लिए इसे कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने कहा- करीब एक करोड़ सैनिकों और लगभग इतनी ही संख्या में नागरिकों ने अपनी जान गंवा दी. इसने पूरी दुनिया को शांति के महत्व को अहसास कराया व समझाया.
लेकिन आज पिछले सौ वर्षों में शांति की परिभाषा बदल गई है. आज शांति का मतलब सिर्फ ‘युद्ध न होना’ नहीं है. आज हम २१वीं सदी में रह रहे हैं अपना तकनीकी विकास कियाहै समझ विकसित किया है.
हालांकि कई ऐसी समस्याएं अभी विद्यमान हैं जिनका तत्काल हल खोजना जरूरी है मसलन- पर्यावरण प्रदूषण,आतंकवाद,विश्व के विभिन्न देशों में व्याप्त सीमा तनाव,गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी लोगों के लिए घर, बेहतर चिकित्सा प्रणाली, अस्पताल आदि.
इन चुनौतियों से निपटना किसी युद्ध से कम नहीं है. लिहाजा हमें इस पर पर्याप्त ध्यान देने की जरूरत है.