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BY-THE FIRE TEAM

आज उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में तीन जजों की पीठ ने दहेज उत्पीड़न के सम्बन्ध में बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि पुलिस अब पुन: किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के मामले में कुछ अहम बदलाव किए हैं। दोनों पक्षों में संतुलन बनाने के मद्देनज़र न्यायालय ने कहा कि -अब केस की सच्चाई की जांच कराने के लिए फैमिली वेलफेयर सोसाइटी में जाने की जरूरत नहीं है।

इससे पहले आईपीसी की धारा 498-ए के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फैमिली वेलफेयर सोसायटी की रिपोर्ट के आधार पर ही आरोपियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अगुवाई में तीन सदस्यीय बेंच ने एक बार फिर से इस केस में किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार पुलिस को दिया है। कोर्ट का कहना है कि आईपीसी की धारा 498-ए के तहत किसी को गिरफ्तार किया जाए या नहीं ये फैसला पुलिस को ही करना है।

हालाँकि कोर्ट ने यह भी कहा है कि-अग्रिम जमानत का प्रावधान पति और उसके परिवार के सदस्यों के लिए बरकरार रहेगा। बेंच ने कहा, “हर राज्य के पुलिस महानिदेशक को ये सुनिश्चित करना होगा कि धारा 498-ए के तहत अपराधों के मामलों की जांच करने वाले अधिकारी को पूरी ट्रेनिंग दी जाए।

यद्यपि जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने कहा था कि दहेज के केस का गलत इस्तेमाल किया जाता है। प्रताड़ना का कोई भी मामला आते ही पति या ससुराल पक्ष के लोगों की एकदम से गिरफ्तारी नहीं होगी।

दहेज प्रताड़ना यानी आईपीसी की धारा 498-ए के गलत इस्तेमाल को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन जारी किया था।

अब फिर उच्चतम न्यायलय ने अपने आदेश की समीक्षा की है तो इसकी कोई बड़ी वजह जरूर होगी।

Source-news18

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