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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली पर्यावरण प्रदूषण से जुड़ी सर्वे एजेंसियों ने कई  तरह का सर्वेक्षण करके विकसित और विकासशील दोनों प्रकार के देशों को आगाह किया है. मसलन बीमारियों, महामारियों से जुड़ा कोई विषय हो अथवा जल संकट, ग्लेशियरों से पिघलती बर्फ ,कटते वन संसाधन, बढ़ता हुआ समुद्री जल स्तर, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, ई कचरा . जितनी भी चुनौतियां विद्दमान हैं अथवा भविष्य में हो सकती हैं सब के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य किया है.

अभी हाल ही में बोस्टन की एक एजेंसी ने भारत के संदर्भ में बताया है कि यहां की हवा में घुल चुके प्रदूषण से भारतीयों की औसत आयु में लगभग डेढ़ वर्ष की कमी आई है .

स्वच्छ वायु व्यक्ति को ना केवल स्वास्थ्य प्रदान करती है बल्कि उसकी आयु में भी इजाफा लाती है . यही वजह है कि कई यूरोपीय देशों जैसे नार्वे, स्वीडन, फिनलैंड तथा एशियाई देशों जापान ,चीन के कुछ प्रांतों,  इंडोनेशिया  के लोगों की आयु लंबी होती है तथा यह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड  अपने नाम कर ले जाते हैं.

हम इस बात से इंकार नहीं कर सकते  इन जगहों पर जो आयु वृद्धि देखी है वह केवल स्वच्छ वायु ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि उनके यहां की उन्नत तकनीकी एवं रोगों की पहचान करने की अधिक क्षमता भी उत्तरदाई है.

पहली बार ऐसा हुआ है जब वायु प्रदूषण और जीवन अवधि से जुड़े डाटा को एक साथ अध्ययन करके प्रकाशित किया  गया है . अमेरिका के ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषण में पाए जाने वाले 2.5 माइक्रोन के छोटे कण से वायु प्रदूषण का अध्ययन किया. यह सूक्ष्म कण फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं तथा इससे दिल का दौरा पड़ने ,स्ट्रोक्स संबंधी  एवं कैंसर होने का खतरा रहता है.

इन कणों का स्रोत बिजली , मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक फैक्ट्रियों का उत्सर्जन है.  वैज्ञानिकों ने पाया है कि वायु प्रदूषण वाले देशों की लिस्ट  में 1.87 वर्ष  ,मिस्र में 1.85, पाकिस्तान में 1.56,सऊदी अरब में 1.48 चीन में 1.5  तथा भारत में लगभग 1.53 वर्ष की कमी आई है .

वर्तमान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान, सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना, इको फ्रेंडली यंत्रों का आविष्कार, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, नदियों के जल का समायोजन  से जुड़ी बहुतेरी योजनाओं ,परियोजना का शिलान्यास किया है .  इसके पीछे सबसे बड़ी वजह  पर्यावरण प्रदूषण के प्रति  चिंता ही है ताकि अपने :ग्रीन प्लेनेट को बचा सके तथा  मानव की रक्षा कर सकें.

भारत में किए गए स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का प्रदूषण स्तर खतरे से ऊपर  यहां सूक्ष्म कणों की सघनता बढ़ती जा रही है जिसके कारण आंखों में जलन की समस्या ,स्कीम की समस्याएं मुखर हुई हैं . ऐसे में अगर हमने प्रतिज्ञा नहीं दिखाई तो इसके परिणाम बहुत ही बुरे निकलेंगे , भारत में किए गए स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का प्रदूषण स्तर बहुत ही चिंताजनक है |

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