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देश में जिस तरह का जहर से भरा सांप्रदायिक माहौल कथित नेताओं के द्वारा बनाकर शांति व्यवस्था को भंग की जा रही है, उसकी निंदा अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खूब जोर पकड़ रही है.

मुस्लिम समुदाय के प्रति भाजपा और आरएसएस की बेतुकी बयानबाजी तथा नफरत अब देश के लिए ही नासूर बन गया है.

वर्तमान समय में नूपुर शर्मा के बाद भड़की हिंसा और तथाकथित उत्पात मचाने वाले लोगों की ऊपर सरकार ने जिस तरह से बर्बरता दिखाई है वह राष्ट्रीय शर्म का विषय बन गया है.

अभी तक हम 17 से अधिक देशों के विरोध झेल चुके हैं. यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो वास्तव में दोषी थे उनके विरुद्ध अभी तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई.?

उत्तराखंड में आयोजित धर्म संसद में जो अधर्म किया गया क्या वह सरकारी संरक्षण में नहीं था.? राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सरेआम गाली देने तथा मुस्लिम बहनों का खुलेआम बलात्कार करने की धमकी देने वाले लोगों को बचाया नहीं गया.?

यहां तक कि कई मुस्लिम व्यक्तियों को सिर्फ अनुमान के आधार पर जेल में डाल दिया गया कि उनके भाषण से दंगा भड़क सकता है जबकि जो देश में खुलेआम सांप्रदायिक भाषण देकर अपनी पीठ थपथपा रहे थे, वे अभी भी खुले सांड की तरह घूम रहे हैं.

लेकिन उन पर प्रशासनिक मशीनरी द्वारा कहीं कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है. भाजपा आईटी सेल के मुताबिक 38 भाजपा नेताओं ने पांच हजार से अधिक भड़काऊ बयान दिए हैं.

किंतु ऐसा लग रहा है कि उन्होंने कुछ किया ही नहीं है. आईपीसी में बिना अदालती कार्यवाही के तथा बिना अपराध सिद्ध हुए दंड देने का अधिकार कब शामिल कर लिया गया,

इसका कुछ पता ही नहीं चल रहा है. क्या अब किसी पर भी आरोप लगते ही प्रशासन उसका घर गिरा देगा.? क्या आज तक किसी भाजपाई का भी घर ढाया गया है.?

देश में सैकड़ों निर्दोष लोगों की लिंचिंग करके मौत के घाट उतार दिया गया, उनमें से कितने हत्यारों का घर बुलडोजर से गिराया गया.

नूपुर शर्मा और नवीन पर जो मुकदमे हुए उनमें अन्य लोगों के नाम घोषित कर क्या उनके केस को कमजोर नहीं कर दिया गया वजह कोई भी हो इंसान नहीं होने देना जय हिंद सर रोकने का काम आखिर है किसका.

क्या इस देश में हत्यारा, दंगाई और दरोगा सब एक ही साधन अपनाएंगे क्या.? हिंदुओं के बर्बर तुष्टिकरण किया करवाई हिंदुओं से उनके लोकतांत्रिक अधिकार को नहीं छीन रही है.?

आजादी के समय भारत को हिंदू राज्य के रूप में स्थापित करने के विषय पर सरदार पटेल ने 1950 में भरी सभा में यह बात कही थी कि हम एक धर्मनिरपेक्ष राज्य में रहते हैं.

यहां हर मुसलमान को यह महसूस करना चाहिए कि भारत के नागरिक हैं और भारतीय होने के नाते उसका समान अधिकार है.?

यदि हम उसे ऐसा महसूस नहीं करा सकते तो हम अपनी विरासत और अपने देश के लायक नहीं है. सरदार पटेल ने जिस पागलपन की ओर इशारा किया था.

लगता है कि यह दौर उसी पागलपन का है. यह ऐसा वक्त है जब मुस्लिमों के बहाने भारत के संविधान पर हमला बोला जा रहा है.

आज जरूरत इस बात की है कि हम खुलकर अपने लोकतंत्र, संविधान तथा देश के मुस्लिम समुदाय के साथ खड़े हों

तभी हिंदू मुस्लिम, सिख, ईसाई, आपस में हैं भाई-भाई का नारा अपने वास्तविक रूप में चरितार्थ हो सकेगा.

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