BY-THE FIRE TEAM
प्रयागराज यानी इलाहाबाद एक बार फिर सज चुका है. कुंभ की तैयारियों में सरकार के साथ-साथ पूरा प्रयागराज जुटा हुआ है. यहां 5 जनवरी से 4 मार्च तक कुंभ मेले का आयोजन किया जा रहा है.
Welfare of all beings, sharing of noble thoughts😇 and maintaining good relationships🤝 with all the beings across the world🌏 is the core message prevalent during #KumbhMela
Discover Kumbh, Discover India, Discover Yourself.
🗓️- 15th Jan – 4th March 2019
📍- Sangam, #Prayagraj pic.twitter.com/ZUUOUAqAXt— PIB India (@PIB_India) December 28, 2018
हर बार की तरह इस बार भी दुनियाभर के श्रद्धालु कुंभ के इस आयोजन में शामिल होंगे.
कुंभ से जुड़ी रोचक बातें :
- कुम्भ का शाब्दिक अर्थ है कलश और यहां ‘कलश’ का संबंध अमृत कलश से है.
- मान्यता है कि असुर-देवताओं के बीच समुद्र मंथन हुआ था, मंथन में अमृत कलश भी निकला
- धन्वन्तरि ने अमृत कलश देवताओं को दे दिया तो फिर युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई.
- अमृत कलश लेकर दानवों से पीछा छुड़ाकर जब देवता जा रहे थे, उस वक्त अमृत की बूंदे पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरी- हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज
- अमृत कलश को स्वर्ग ले जाने में 12 दिन का समय लगा
फोटो-कुंभ वेबसाइट
- मान्यता है कि देवताओं का एक दिन पृथ्वी के एक साल के बराबर होता है.
- ऐसे में हर 12 साल में कुंभ मेले का आयोजन होता है
- कुंभ मेला का इतिहास कम से कम 850 साल पुराना है. माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने इसकी शुरुआत की.
- हरिद्वार, इलाहबाद, उज्जैन और नासिक में हर 3 साल में कुंभ लगता है
- 12 साल बाद यह मेला अपने पहले स्थान पर वापस पहुंचता है4
- अर्धकुंभ मेला हर 6 साल बाद होता है और केवल इलाहाबाद और हरिद्वार में ये मेला लगता है.
- इलाहाबाद में साल 2019 का मेला अर्धकुंभ ही है
- NAGA SADHU
- कुंभ में शाही स्नान सबसे पहले अखाड़ों के साधु करते हैं, बाद में आम आदमी
- कुंभ के अखाड़ों में साधुओं और धार्मिक संगठनों का जमावड़ा होता है
- अगर आपको साधुओं, नागा, अघोरी के बारे में जानना है तो कुंभ खास जगह है.