दिल्ली दंगे में मारे गए हरदोई के मोनिस के जनाजे में शामिल हुए हिन्दू-मुसलमान में गुस्सा और गम


BY- THE FIRE TEAM


  • दिल्ली में दंगाइयों के हाथों मार दिए गए मोनिस का जनाज़ा जब उठा, तो राभा में सख्त दिल लोगों के आंखों से भी आंसू टपक पड़े।
  • हरदोई के पिहानी कस्बा के राभा के रहने वाले मोनिस दिल्ली में मजदूरी करके अपना और अपने घर का पेट पाल रहे थे।

मोनिस दिल्ली में दंगे का शिकार हो गए। इतनी छोटी सी उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। गांव के लोग चाहे वह हिन्दू हों या मुसलमान सब के सब गमगीन नजर आए।

भले ही दिल्ली में साम्प्रदायिक माहौल तैयार किया गया हो, हिन्दू मुस्लिम को बांटा गया हो लेकिन राभा के सभी लोग मोनिस को लेकर बहुत दुःखी हैं।

यहां सभी लोग उनके परिवार और उसकी मौत को लेकर कई सवाल खड़े कर रहे हैं।

अपने पेट की खातिर काम की तलाश में गए मासूम मोनिस का जनाज़ा बहुत वज़नी महसूस हुआ। इतना कि राभा के कद्दावर लोगों के कांधे भी कंपकंपा उठे।

दंगे में जिस मोनिस ने अपनी जान गंवाई उसकी मय्यत में यहां तो कोई तफरीक नज़र नहीं आई। राभा के हिन्दू- मुसलमान सबके सब गम और गुस्से में डूबे हैं।

सबके खामोश चेहरों पर पर बस यही सवाल लिखे हुए हैं-
क्या परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए शहरों में ठोकरें खाना जुर्म है?

क्या बूढ़े मां बाप का सहारा बनने के लिए काम की तलाश कोई अपराध है?

क्या जवान बहन के अरमानों की तकमील के लिए अंजान शहर में मेहनत की कमाई के लिए हाथ पांव मारना गुनाह है?
नहीं! तो फिर मोनिस को आखिर किस खता की सज़ा भुगतनी पड़ी है?

आखिर ये कौन लोग हैं जिनके इशारों पर किसी का बाप छीना जा रहा है तो किसी का बेटा। किसी बहन की आबरू पर हमला हो रहा है तो किसी के भाई को मौत दी जा रही है।

हमें सोचना पड़ेगा कि आखिर वो कौन लोग हैं जिन्हें हमारे होली- ईद पर गले मिलने से तकलीफ होती है।

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