BY– THE FIRE TEAM
RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) के अधिकतर सदस्यों ने महंगाई की आशंका को रेखांकित किया है। समिति के छह में से पांच सदस्यों ने दरों को 6.50 प्रतिशत पर रखने पर वोट दिया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और गिरते रुपये के मद्देनजर महंगाई के खतरे को स्वीकार किया है। समिति ने संकेत दिए हैं वह आने वाले महीनों में, रेपो रेट में वृद्धि कर सकती है।
शुक्रवार को समिति ने अक्टूबर में हुई मीटिंग के मिनट्स जारी किए। इसके अनुसार, अधिकतर सदस्यों ने महंगाई की आशंका को रेखांकित किया है। समिति के छह में से पांच सदस्यों ने दरों को 6.50 प्रतिशत पर रखने पर वोट दिया है।
RBI गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा, ”महंगाई के लगातार खतरे को मानते हुए और लंबे समय तक 4 प्रतिशत की महंगाई दर लक्ष्य को हासिल करने के लिए, मौद्रिक नीत को ‘न्यूट्रल’ से ‘कैलिब्रेटेड टाइटनिंग’ की ओर मोड़ने की जरूरत है। कैलिब्रेटेड टाइटनिंग का अर्थ है कि वर्तमान रेट साइकिल में, नीति रेपो रेट में कटौती नहीं होगी और हम हर नीतिगत बैठक में दरें बढ़ाने को बाध्य नहीं हैं।”
RBI के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के अनुसार, तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना से दरों में कटौती नहीं की जाएगी। आचार्य ने कहा, ”इन सभी कारकों तथा मौद्रिक नीति समिति को मिले महंगाई दर के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, ऐसा महत्वपूर्ण है कि सावधानी पूर्वक सही समय पर आगे बढ़ा जाए, ताकि लगातार पिछले दो बार से बढ़ रही दरों के चलते अर्थव्यवस्था को एडजस्ट करने का समय मिले।”
MPC सदस्य चेतन घाटे ने कहा, ”नीतिगत दरों में पिछली दो बार से हुई बढ़ोतरी के बावजूद, अगस्त से अब तक का डेटा दिखाता है कि महंगाई को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखना हमारे लिए मुश्किल होता जा रहा है। अब जोखिम प्रबंधन के नजरिए से कार्रवाई की जरूरत है।
हमें 4 प्रतिशत के लक्ष्य को लचीला नहीं कर सकते।”
MPC सदस्य रवींद्र ढोलकिया ने कहा, ”RBI की ओर से अगले 12 महीनों के लिए महंगाई का अनुमान मेरे हिसाब से उच्चतर होना चाहिए। ऐसा इसलिए भी क्योंकि जिस हद तक RBI ने महंगाई पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के प्रभाव को माना है, वह मेरे हिसाब से अवास्तविक रूप से अत्यधिक है।”