BY- THE FIRE TEAM
मुंबई की एक विशेष अदालत ने बुधवार को 31 मई तक पुलिस हिरासत में डॉ पायल तडवी की मौत के मामले में गिरफ्तार तीन वरिष्ठ डॉक्टरों को रिमांड पर लिया।
भील आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली तडवी ने 22 मई को मुंबई के टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज में आरोपीयों द्वारा जातिसूचक गाली गलौज और जाति को लेकर अपमान करने के बाद आत्महत्या कर ली थी।
अभियोजन पक्ष की दलील के बाद तीन डॉक्टरों भक्ति मीहेर, हेमा आहूजा और अंकिता खंडेलवाल को हिरासत में भेज दिया गया था यह पता लगाने के लिए कि क्या उन्होंने पायल द्वारा छोड़ा गया सुसाइड नोट नष्ट कर दिया है।
पीटीआई के अनुसार आरोपियों पर अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1999 के महाराष्ट्र निषेध अधिनियम, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।
तीनों डॉक्टरों ने महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स को एक पत्र में उत्पीड़न के आरोपों से इनकार किया है, जिसमें “निष्पक्ष जांच” की मांग की गई है।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, “अगर भारी काम के बोझ को रैगिंग का नाम दिया जाता है, तो हम सभी रैगिंग की गई है।” MARD ने प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों के आधार पर तीन डॉक्टरों को निलंबित कर दिया है।
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि ताडवी को ऑपरेशन थियेटर में उनकी मौत से कुछ घंटे पहले अन्य कर्मचारियों और मरीजों के सामने जातिगत टिप्पड़ी की गई थी और पायल को रोते हुए देखा गया था।
तडवी के पति सलमान ने तीन वरिष्ठ डॉक्टरों पर रैगिंग और उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया है।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग की एंटी-रैगिंग कमेटी को प्राथमिक सबूत मिले हैं कि तडवी को जातिवादी टिप्पड़ियों का सामना करना पड़ा था। मंगलवार को महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज को एक रिपोर्ट सौंपी गई।
आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर मंगलवार को महाराष्ट्र के ठाणे और पालघर में दो विरोध रैली निकाली गईं।