BY–THE FIRE TEAM
भारत माता की जय को लेकर राजनीति ऐसी होती है कि लगता है भारत में सब कुछ महिलाओं के ही हाथ में है। यह सच है कि भारत की संस्कृति में महिलाओं का अपना महत्व है लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि 21वीं सदी में भी यहां की हालत नहीं सुधरी है।
महिलाओं को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले नेता जी भी अपनी पार्टी से महिलाओं को टिकट नहीं देते हैं। हालात बुरे नहीं बेबत्तर हैं। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि भारत वैश्विक लैंगिक समानता सूचकांक में घाना, रवांडा और भूटान से भी पिछड़ गया है।
भारत 129 देशों की सूची में 95वें स्थान पर है। इस सूचकांक में गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य, साक्षरता, राजनीतिक प्रतिनिधित्व और कार्यस्थल पर समानता जैसे पहलुओं का आंकलन किया जाता है। सूचकांक को ब्रिटेन की इक़्वल मेजर्स 2030 ने तैयार किया है।
इस सूचकांक में चीन 74, नेपाल 102, पाकिस्तान 113वें स्थान पर है। पहले स्थान पर डेनमार्क और आखरी स्थान पर चाड है।