BY- THE FIRE TEAM
आपसी विवाद को फर्जी मुठभेड़ से हल कर रही यूपी पुलिस
योगी की पुलिस जज बनकर करने लगी है फैसला आन द स्पॉट
रिहाई मंच ने प्रतापगढ़ में तौकीर, इश्तियाक और आज़मगढ़ में अमरदीप यादव मुठभेड़ मामले पर सवाल उठाते हुए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
मंच ने यह सवाल दोहराया कि हर बार अपराधी एक जाति-धर्म विशेष का ही क्यों होता है जिसका योगी सरकार में इनकाउंटर हो जाता है। इसी कड़ी में आगे कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद सूबे में हुई हत्याएं भी एक जाति विशेष के लोगों की ही हुईं।
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि यह चर्चा आम है कि तौकीर को भोपाल से उठाया गया और फिर प्रतापगढ़ में मुठभेड़ का शिकार बनाया गया।
तौकीर को प्रधान दिनेश दुबे की हत्या का आरोपी कहा जा रहा है जबकि परिवार वालों का कहना है कि तौकीर के बहाने असली आरोपियों को बचाया जा रहा है जबकि उन्होंने नामजद रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।
वहीं एक लाख के इनामी तौकीर व 50 हजार के इनामी अतीक को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया जैसी खबरें भी एसटीएफ के दावे को पूरी तरह खारिज करती हैं और उसकी आपराधिक भूमिका उजागर करती हैं।
जब 31 मई को ही तौकीर गिरफ्तार कर लिया गया था तो आखिर किस आधार पर तौकीर को बुधवार की रात में प्रतापगढ़ में होने की सूचना एसटीएफ को मिली थी क्या यह वही तौकीर है जिसकी गिरफ्तारी की खबर है?
अगर ऐसा है तो जिस तौकीर को पुलिस ने मुठभेड़ में मारने का दावा किया वो तो पहले से ही हिरासत में था, उसे कोर्ट में पेश क्यों नहीं किया गया? क्या इसलिए कि उसकी फर्जी मुठभेड़ में हत्या पूर्व नियोजित थी? क्या इसी के तहत मकसूद से पूछताछ में प्रधान की हत्या में तौकीर का नाम आने की कहानी बनाई गई?
जबकि प्रधान के परिजन एसटीएफ के दावे से सहमत नहीं हैं और स्थानीय अंतू पुलिस भी नामजद आरोपियों को दोषी मानकर करवाई कर रही थी।
तौकीर के पिता अब्दुल हफीज कहते हैं की भोपाल से लाकर उसका एनकाउंटर किया गया, जब वह 4 तारिख की शाम ताजदुल मसाजिद, इमामी गेट के पास मस्जिद से निकल रहा था तभी पुलिस ने उसे उठा लिया और 6 की सुबह उसका क़त्ल कर दिया।
जब उन्हें मालूम चला की बेटा उठा लिया गया तो वे 5 को ही ईद के दिन मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश, एसपी भोपाल, मानवाधिकार आयोग, जिलधिकारी प्रतापगढ़, एसपी प्रतापगढ़, डीजीपी यूपी, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश समेत सभी को ईमेल कर दिया था।
उसके खिलाफ कोई भी नामजद मुकदमा नहीं था सब पुलिस के मनगढ़ंत मुकदमे थे। उसे याद करते हुए कहते हैं की वो 21 साल का था उसे मारते-मारते मार डाला।
तौकीर के अब्बू से यह पूछने पर की जो 31 मई को उसके उठाए जाने की खबर आई फिर वो क्या थी, वे कहते हैं की हाँ उन्होंने भी पढ़ा था पर उस दिन उसे नहीं उठाया गया।
ऐसे में तौकीर मामले की गुत्थी उलझती नजर आती है। पर एक बात की तरफ जरुर इशारा करती है की उसके मुठभेड़ में मारे जाने की पठकथा पहले से ही लिखी जा चुकी थी और इतनी आम हो गई थी कि पुलिसिया मीडिया सूत्र तक उसके मुठभेड़ में पकड़े जाने की बस बाट जोह रहे थे।
उनके पिता ने भी इसी तरफ इशारा किया की आस-पास के किसी ने मुखबिरी की थी। ऐसे में इस मामले की उच्चस्तरीय जाँच और भी जरुरी हो जाती है की दूसरे प्रदेश से लाकर उसको मुठभेड़ में मारने का आरोप परिजन लगा रहे हैं। जबकि वे मुठभेड़ से पहले ही आला स्तर पर प्रार्थना पत्र भेज चुके थे।
प्रतापगढ़ में 8 जून को पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान सलीम और इश्तियाक को पकड़ने का दावा किया। वहीँ इश्तियाक के परिजनों ने 6 जून को ही एसपी, मानवाधिकार आयोग, मुख्यमंत्री, डीजीपी, आईजी, डीआईजी, जिलाधिकारी जैसे तमाम आला अधिकारियों को फैक्स से सूचित कर दिया था।
शिकायत में इश्तियाक की अम्मी मनीषा बेगम ने कहा है कि मेरे गाँव के मैनुद्दीन, जैनुद्दीन, नौशाद, इरशाद सुतगड मोहम्मद सलीम, आबिद अली सुत अब्दुल अज़ीज़ जमीनी विवाद को लेकर दुश्मनी चल रही और स्टे की भूमि में प्रार्थी का घर दुआर पेड़ स्थित है, जिसपर कब्ज़ा ना कर पाने पर थाना कंधई के एसओ संजय शर्मा व हल्का दरोगा संतोष मिश्र को मिलाकर नफा नाजायज़ लेकर फर्जी मुकदमा थाना कंधई में धारा 307 का कायम कराया और घर से पकड़कर थाना कंधई लाए।
प्रार्थिनी से लाखों रूपये की मांग की गई और ना देने पर कई फर्जी मुकदमा मैनुद्दीन के कहने पर लाद दिए दिए, जो अदालत से जमानत पर चल रहा है।
6 जून 2019 समय 2 बजे दिन में एसटीएफ पुलिस मैनुद्दीन से नाजायज रकम लेकर प्रार्थिनी के लड़के इश्तियाक अहमद जो घर पर सो रहा था सादी ड्रेस में घर पर आए और बिना कुछ बताए इश्तियाक अहमद को अपनी गाड़ी में बैठकर ले जाने लगे।
तब प्रार्थिनी गाड़ी के आगे खड़ी हो गई और बोली आप लोग कौन हैं मेरे लड़के को कहा ले जा रहे हो, तो उपरोक्त लोग जो सादी वर्दी में थे बोले मैं एसटीएफ पुलिस हूँ। अपने लड़के को एक बार देखलो अब इसका काम ख़त्म कर दूंगा।
प्रार्थिनी को डर है की, मेरे लड़के इश्तियाक अहमद को मेरे दुश्मन मैनुद्दीन के कहने पर उसकी हत्या हो सकते है। यदि ऐसा होता है तो उसकी सारी जिम्मेदारी एसटीएफ पुलिस और मेरे दुश्मन मैनुद्दीन आदि की होगी क्योंकि जमीन हड़पने की नियति से मेरे लड़के इश्तियाक अहमद कि जो बेगुनाह है रात बे रात फर्जी मुठभेड़ दिखाकर हत्या कर सकते हैं।
इस मामले को लेकर परिजन कहते हैं की 6 जून को जो पुलिस वाले इश्तियाक को ले गए वही एक दिन पहले ईद को फ़ोन करके सेवईं खाने आए थे और दूसरे दिन उठाने के बाद इश्तियाक से उसी फ़ोन नंबर से उसकी अम्मी से भी बात कराई गई।
ऐसे में पुलिस के मुठभेड़ की थ्योरी सवालों के घेरे में आ जाती है। वहीँ ये भी सवाल होता है की पुलिस एक दिन पहले आखिर क्यों इश्तियाक के घर गई थी। यानि की वो उनके संपर्क में था, तो वहीँ इश्तियाक की अम्मी ने जिस मैनुद्दीन को इस मामले के लिए जिम्मेदार बताया क्या वही पुलिस का मुखबिर है।
इस घटना में सामने आ रहा कि आपसी रंजिश को कहीं मुठभेड़ का नाम तो नहीं दिया गया। ऐसे में इन घटनाओं की उच्चस्तरीय जाँच की आवश्यकता है। दूसरे यहाँ यह भी सवाल है की आखिर एसटीएफ और इश्तियाक का क्या रिश्ता था जो वो उसके घर सेवईं खाने गए थे। क्या ऐसा तो नहीं है की पुलिस छोटे-छोटे मामलों के आरोपियों से सम्बन्ध रखकर उन्हें ही मुठभेड़ में दिखाकर अपना गुड़ वर्क दिखा रही है।
अमरदीप यादव मुठभेड़ मामले को लेकर मंच ने आज़मगढ़ के एसपी से सवाल किया कि आखिर उनकी पुलिस का निशाना इतना सटीक कैसे है कि हर गोली घुटने के नीचे लगती है। आज़मगढ़ के अमरदीप के भी पैर में गोली मार कर उसे मुठभेड़ में पकड़ने का दावा किया गया है।
इसके पहले भी वर्तमान एसपी के कार्यकाल में राजन यादव, मनीष पाठक और इकराम के साथ भी यही हुआ। इससे लगता है कि पुलिस योगी के ठोंक देनेवाले बयान के मुताबिक़ काम कर रही है।
पिछले दिनों बाराबंकी में शराब से हुई मौतों के बाद शराब व्यवसायी को मुठभेड़ में पैर में गोली मारते हुए पकड़ने का दावा किया गया था। इससे पता चलता है कि पुलिस फिल्मों की तरह फैसला आन द स्पॉट करने लगी है।
पुलिस अधिकारियों का चुलबुल पांडेय, सिंघम बनना खतरनाक है। इससे पहले भी योगी सरकार पर मुठभेड़ों को लेकर सवाल उठ चुके हैं जिसमें पुलिस मुठभेड़ों का रेट तय कर रही है।
द्वारा-
राजीव यादव
रिहाई मंच
9452800752
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