न्यायपालिका में पैरवी, पसन्द और जाति के आधार पर जजों की होती है नियुक्तियाँ: जस्टिस रंगनाथ पांडेय


BY-THE FIRE TEAM


देश में भ्रष्टाचार किस कदर व्याप्त हो चुका है इसका पता एक न्यायाधीश की चिठ्ठी से चल जाता है. इन्होंने ऐसी सच्चाई का खुलासा किया है जिसको जानकर आप दंग रह जाएंगे. जी हाँ, मिली जानकारी के मुताबिक-

प्रयागराज हाईकोर्ट के जज रंगनाथ पाण्डेय ने प्रधानमंत्री को चिठ्ठी लिखकर इत्तला किया है कि किस तरह से अब हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की जा रही है?

दरअसल, जस्टिस रंगनाथ ने न्यापालिका में होने वाली नियुक्तियों के संबंध में हो रही गड़बड़ियों की ओर इशारा करते हुए बताया है कि पैरवी, पसन्द और जाति के आधार पर जजों की नियुक्तियाँ किया जाना न्यायपालिका के प्रति लोगों के विश्वास को प्रभावित करेगा.

 

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए न्यायाधीश ने कहा कि राजनीति में कार्यकर्ताओं के कार्यों का मूल्यांकन जनता करती है तथा प्रशासनिक अधिकारियों की भर्तियां प्रतियोगी परीक्षाओं द्वारा की जाती है जबकि हाईकोर्ट हो या सुप्रीमकोर्ट, यहाँ ऐसी कोई नियुक्ति प्रणाली मौजूद नहीं है.

जस्टिस पांडेय ने यह भी बताया कि वे अपने 34 वर्षों के लम्बे कार्यकाल में कई न्यायाधीशों से मिले तो उन्होंने पाया कि ऐसे भी व्यक्ति जज बने बैठे हैं जिनको सामान्य विधिक ज्ञान तक नहीं है.

जस्टिस पांडेय ने एनजेएसी (राष्ट्रीय न्यायिक चयन आयोग) की प्रक्रिया को बेहतर बताया हालाँकि इस प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र में हस्त्क्षेप मानकर ख़ारिज कर दिया.

जस्टिस पांडेय ने यह भी अपने पत्र में लिखा है कि जिस तरह का विवाद विगत दिनों में सुप्रीम कोर्ट के जजों के मध्य अपने अधिकारों को लेकर उपजा और इसे प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सार्वजनिक किया गया उससे न्यायपालिका की गुणवत्ता और विश्वासनीयता अप्रतक्ष्य रूप से प्रभावित हुई है.

 

 

 

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