लखनऊ: कश्मीर मसले पर आवाज उठाने के कारण मैग्सेसे विजेता संदीप पांडेय घर में नजरबंद


BY- RIHAI MANCH


आज शाम लखनऊ में हज़रतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर कश्मीर के सवाल को लेकर नागर समाज का जुटान होना था। भय, दुख और सदमे से सराबोर कश्मीरियों के साथ एकजुटता और उनकी सलामती की चिंता ज़ाहिर करने के लिए मोमबत्तियां जलाई जानी थीं।

कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाने जाने के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री समेत भाजपा के तमाम ज़िम्मेदार नेताओं द्वारा कश्मीरी महिलाओं के बारे में दिए गए फूहड़ और अश्लील बयानों पर थूथू की जानी थी। इसका आयोजन रिहाई मंच और एनएपीएम ने किया था।

लेकिन अभी दोपहर होने को थी कि रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब के घर की गली को बड़ी संख्या में पुलिसवालों ने छेक लिया। कैसरबाग कोतवाली के क्षेत्राधिकारी और अमीनाबाद थाना प्रभारी ने शुऐब साहब के घर दस्तक दी और उनसे आज का कार्यक्रम रद्द करने को कहा।

दलील दी कि बक़रीद के मद्देनज़र पुलिस पर भारी दबाव है। 15 अगस्त सामने है। इसके चलते धारा 144 भी लागू है। शुऐब साहब ने ऐसी सूरत में कार्यक्रम को फ़िलहाल टालने का फैसला किया। लेकिन पुलिस का ज़ोर था कि पहले इसकी घोषणा हो तभी वे उनके घर से हिलेंगे।

उधर, कार्यक्रम के आयोजक और मेगासेसे पुरूस्कार से सम्मानित डा. संदीप पांडे के घर के बाहर भी पुलिस आ धमकी। उन्हें घर से चंद क़दम दूर स्थित दूकान से घरेलू सामान लेने जाना था लेकिन उन्हें रोक दिया गया।

कहा गया कि शाम तक उन्हें घर से बाहर निकलने की इजाज़त नहीं है। मतलब कि शाम तक के लिए उन्हें घर में नज़रबंद कर दिया गया।

इस पूरे घटनाक्रम से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कश्मीर में हालात कितने बुरे होंगे। तय है कि कश्मीर से कोसों दूर अगर लखनऊ में वहां के बारे में बात करना इतना दूभर और मुश्किल है तो समझा जा सकता है कि ख़ुद कश्मीर में बोलने की आज़ादी का कचूमर ही निकाल दिया होगा।

क़ानून-व्यवस्था सुधारने और अपराधियों पर लगाम लगाए जाने के मोर्चे पर योगी की पुलिस बुरी तरह फेल रही है लेकिन सच और इंसाफ़ की जुबान पर पहरा लगा देने में वह उतनी ही मुस्तैद नज़र आती है।

यह कहीं से रामराज्य का लक्षण नहीं। यह तो उत्तर प्रदेश को दमन राज्य में बदल दिए जाने की गवाही है। नागरिकों को देश के किसी भी हिस्से में हो रहे अन्याय का विरोध करने का अधिकार है लेकिन यह अधिकार अब देशद्रोह के दायरे में शामिल किया जा रहा है। यह लोकतंत्र के लिए ख़तरे का सिग्नल है।

बहरहाल, आज का स्थगित कार्यक्रम अगली 16 अगस्त को गांधी प्रतिमा पर शाम छह बजे आयोजित होगा। देखना होगा कि इंसाफ़पसंद लोगों और संगठनों का बोलते रहने और पीछे न हटने के संकल्प पर योगी सरकार का हंटर कैसे चलता है।

सृजनयोगी आदियोग
Adiyog Srijanyogi
Insani Biradari

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