प्रेस वार्ता: उत्तर प्रदेश के मजदूरों को महाराष्ट्र में बंधुआ मजदूरी से कराया गया मुक्त, उनके साथ हुई प्रेस वार्ता


BY- THE FIRE TEAM


एक्शएड एसोसिऐशन उत्तर प्रदेश के 45 जिलों में वंचित समुदायो व असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के साथ में कार्य कर रही है। संस्था के द्वारा पश्चिम उत्तर प्रदेश के जिलों में भी सघन रूप से कार्य किया जा रहा है।

दिंनांक 24 अगस्त 2019 को एक कार्यकर्ता के द्वारा संस्था को सूचना मिली की जिला मुजफुरनगर, सहारनपुर, बिजनौर व सीतापुर के गांवों से गये मजदूरों, (जिनमें बच्चे व महिलायें भी शामिल हैं,) के द्वारा पुने में गुड़ बनाने वाली फेक्टरी / कोलू में बंधुआ मजदूरी करवाई जा रही है।

एक्शएड एसोसिऐशन द्वारा इसे संज्ञान में लेते हुये इसकी पड़ताल की तो ज्ञात हुआ कि उपरोक्त जिलों से कुल 19 लोग जिनमें 13 पुरूष , 4 महिलायें , व 2 बच्चे भी शामिल हैं, जिले पुना में बंधुआ मजदूरी कर रहे हैं।

इसके पश्चात सम्बन्धित जिला अधिकारियों, बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्नमूलन) अधिनियम 1976 कानून के अन्र्तगत बनी निगरानी समीति व एसएसपी को मेल के द्वारा सूचना दी गई। इसी के साथ ही राष्ट्रीय अभियान समिति को भी सूचना दी गई ।

एक्शनएड ने बंधुआ मजदूरों के मुददों पर काम करने वाले पूना के साथी संगठन हमाल पंचायत को दिनांक 27 अगस्त को रिपोर्ट किया। हमाल पंचायत के द्वारा त्वरीत रूप से एक्शन लेते हुये जिला सर्तकता समीति पूना को सूचना दी गई व बचाव दल का गठन किया गया।

दल 29 अगस्त को आले गांव पागा, तहसील शीरपुर जिला पुना पहुंचा व शाम को बचाव अभियान शुरू किया जोकि 30 अगस्त 2019 की सुबह तक चला।

अभियान के दौरान श्रमिक बहुत ही दयनीय स्थिति में पाये गये। सुबह सभी श्रमिकों को सुरूर तहसील लाया गया । उनके द्वारा बताया गया कि वे दो महीने से यहां पर काम कर रहे थे।

17 लोगों को सामूहिक रूप से 30 हजार रूप्ये एडवासं देकर 10 हजार रूप्ये प्रतिमाह प्रति व्यक्ति मजदूरी, 12 घंटे प्रति दिन काम करने के लिये तय की गई थी। परन्तु जिसमें से कुछ भी मजदूरी नही दी गई।

उन्हे प्रायः बेरहमी के साथ पिटा जाता था । महिलाओं एवं बच्चों के साथ भी अभर्द व्यवहार व मारपीट की जा रही थी। हर दिन औसतन 18 से 20 घंटे काम लिया जा रहा था।

सभी श्रमिक व बच्चे शोषणकारी परिस्थितियों में काम करने के लिये बाध्य थे। बहुत बार कहने के बाद भी घर भी जाने नही दिया गया व काम भी नही छोड़ने दे रहे थे। 17 लोगों के द्वारा मजदूरी करने की बात तय हुई थी परन्तु बच्चों से भी काम लिया जाने लगा।

गुड़ बनाने वाली फेक्टरी / कोलू के फेक्टरी चलाने वाले जिला मुज्जफरगनर के गांव बसेड़ा के ही निवासी है जो पुना में आले गांव पागा तहसील शीरपुर में फेक्टरी चलाते हैं।

प्रशासन ने कारवाई करते हुये बंधुआ मजदूरी अधिनियम और आईपीसी धारा 370 -16,17 और 18 के अन्र्तगत मामला दर्ज किया व दो लोगों पर त्वरित कार्यवाही करते हुये उन्हे हिरासत में लियागया।

जिला प्रशासन ने बंधुआ मजदूरी कानून के एस ओ पी के अन्र्तगत संवेदनशीलता के साथ पूरे मुददे पर कार्यवाही की व पुर्नवास के लिये 17 श्रमिकों को प्रमाण पत्र जारी किया ।

वार्ता के दौरान जिला मुज्जफरनगर के गांव तितावी ब्लाक बघरा के आरीफ (उम्र 24) ने बताया कि हम पिछले दो महीने से वहां काम कर रहे थे। वहां हमारे रहने कि भी कोई व्यवस्था नही थी हम जमीन पर ही सोते थे। मजदूरी मांगने पर मारते थे व गाली देते थे। महिलाओं के साथ भी र्दुव्वहार करते थे।

जीशान (उम्र 24) मुज्जफरनगर के गांव तितावी ब्लाक बघरा के द्वारा साझा किया गया कि जब मैने मजदूरी मांगी तो कहा कि पैसे नही हैं जब मैने कहा कि हमें खर्चे के लिये तो पैसे चाहिये तो मुझे 3 दिन तक कमरे में बन्द करके रखा व बहुत ही मारा। हमारे साथ ही साथ और लोग भी परेशान है उन्हे भी मदद मिलने चाहिये।

सहारनपुर के गांव कुराली से शकुन्तला (उम्र 42) ने कहा कि मेरी बेटी की शादी होने वाली है मैने कहा कि अगस्त में मुझे घर जाना है परन्तु मुझसे कहा गया कि अभी तुम कही नही जा सकती है। मुझे गाली देकर बात की व पैसे मांगने पर मारपीट की गई ।

सहारनपुर के गांव कुराली से पूजा (उम्र 19) ने कहा कि हमें बताया गया थाकि 12 घंटे काम करना है पर वहां पर काम करने के कोई घंटे तय नही थे 20-20 घंटे काम किया है।

प्रेस वार्ता में एक्शनएड उत्तरप्रदेश उत्तराखण्ड के क्षेत्रीय प्रबन्धक खालिद चैधरी जी के द्वारा पूरी घटना के बारे में संक्षेप में जानकारी दी गई। बताया गया कि 11 लोग दलित समुदाय से हैं व शेष मुसलिम समुदाय से हैं। इसी के साथ ही श्रमिको की ओर से निम्नलिखित मांगों को रखा गया

उत्तरप्रदेश शासन के द्वारा मुक्त करवाये गये श्रमिकों को बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्नमूलन) अधिनियम 1976 के अन्र्तगत उनके पुर्नवसन हेतु त्वरित रूप से निम्नलिखित पैकेज के अन्र्तगत सहायता उपलब्ध की जानी चाहिये –

1. आवासीय भूमि व खेती हेतु 5 एकड़ जमीन
2. भूमि सुधार कीे सहायता
3. कम लागत की आवासीय ईकाई का निर्माण
4. जीविकोपार्जन हेतु पशुापालन, डेरी, मुर्गी पालन, सुअर पालन ईकाईयों से जोड़ना
5. कौशल विकास के अवसर प्रदान करना जिनमें पहले से आने वाले कार्यो में और अधिक दक्षता हेतु प्रशिक्षण या नये कार्यो हेतु कौशल विकास प्रशिक्षण देना
6. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्र्तगत आवश्यक वस्तुओं व राशन की उपलब्ध करवाना
7. बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करना
8. श्रमिकों के नागरिक अधिकारों को सुनिश्चित करना।

पलायन करने वाले व अन्य श्रमिको के साथ भविष्य में ऐसी घटनाये न हो इसके लिये निम्नलिखित कार्यो के करने की आवश्यकता है –

  • पंचायत स्तर पर एक निगरानी रजिस्टर बनाया जाना चाहिये जिसमें जबरन पलायन के साथ ही साथ सभी पलायन करने वाले श्रमिकों की सूचना दर्ज की जाये व रजिस्टर के अनुसार श्रमिकों के साथ फालोअप भी किया जाये।
  • राज्य सरकार के द्वारा श्रमिकों हेतु टोल फ्री हेल्पलाइन नम्बर जारी किया जाये व राज्य स्तर पर अधिकारी की नियुक्ति की जाये जो पलायन कर रहे श्रमिकों कीे निगरानी व संकटग्रस्त श्रमिकों को त्वरित सहायता प्रदान कर सकें।

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