BY-THE FIRE TEAM
प्राप्त जानकारी के मुताबिक आये दिन बलूचिस्तान से लोगों के गायब होने, मारे जाने, शोषण आदि से तंग आकर ये आंदोलन के लिए विवश हो गए हैं. यही वजह है कि मानवाधिकारों का घोर उलंघन
होता देख बलूच कार्यकर्ताओं ने जेनेवा में बड़ा आंदोलन प्रारम्भ कर दिया है. आपको बता दें कि बलूच मानवाधिकारी परिषद (BHRC) द्वारा ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ के नेतृत्व में
आयोजित होने वाले 42 वें सत्र के कार्यक्रम के दौरान बलोच लोग इकट्ठा होकर प्रदर्शन कर रहे हैं. वर्तमान में बलूचिस्तान के अंदर लोगों का जीवन बहुत असुरक्षित हो चुका है.
यहाँ तक कि कब किसकी हत्या हो जाये और कौन लापता हो जाये इसका कोई पता नहीं है.
BHRC's tent at #UN #Geneva to highlight the humanitarian crisis in Balochistan #PakistanStopGenocide in #Balochistan #BHRCinGeneva #StandUp4HumanRights Despite all the odds our peaceful campaign continues! pic.twitter.com/b776Wemvjd
— Baloch Human Rights Council (@BALOCHHRC) September 10, 2019
आपको बता दें कि बलूच मानवाधिकारी परिषद के साथ सभी प्रदर्शनकारी स्विट्जरलैंड में ब्रोकन चेयर स्मारक के सामने इकट्ठा होकर अपनी पीड़ा को बयान कर रहे हैं.
तथा संयुक्त राष्ट्र से इसको रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की माँग कर रहे हैं. बीएचआरसी ने बताया कि- पाकिस्तान के अंदर बलूचिस्तान सबसे पिछड़ा इलाका है.
BLOCH
पाकिस्तान और चीन के लोगों के जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से आरम्भ की गई चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर योजना ने इस पिछड़ेपन को और बढ़ाया है.
खुद पाकिस्तान ने बलूच क्षेत्र में उपलब्ध संसाधनों का दुरूपयोग करते हुए इसका दोहन किया है, और इसके बदले में उन्हें कुछ नहीं मिला है. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बीएचआरसी ने कहा है कि-
https://twitter.com/BalochFreedomF/status/1171291333413093377
“आधिकारिक तौर पर जिसे द्विपक्षीय सम्पर्क, निवेश, वाणिज्य को बढ़ावा देने का प्रयास बताया जा रहा है वह वास्तव में राज्य की तरफ से प्रायोजित ‘सांस्कृतिक तबाही’ है.”
बीएचआरसी ने यह भी बताया कि पाकिस्तान की सेना गांवों में आकर कत्लेआम करती है, और वहां आग लगा देती है. ताकि चीन के लोगों के लिए कॉलोनियां बसाई जा सके.
बलूचिस्तान में जिन लोगों के घर नष्ट कर दिए गए हैं उनको पाकिस्तानी सेना के शिविर के पास रहने के लिये भी विवश किया जा रहा है.