महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय का तानाशाहीपूर्ण फरमानों से त्रस्त छात्र बढ़ रहे आत्महत्या की तरफ


BY- VAIBHAV


  • महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय का तानाशाहीपूर्ण फरमानों से त्रस्त विद्यार्थी और विश्वविद्यालय द्वारा छले जाने से पीड़ित छात्र आत्महत्या की तरफ बढ़ रहे हैं।

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र के बीएड-एमएड इंटीग्रेटेड कोर्स के एक छात्र हरिओम सिंह ने अपनी फेसबुक वॉल पर मर्माहत कर देने वाली यह पोस्ट लिखी है, जो विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों के साथ किए गए छल की पोल खोलकर रख देता है।

थोड़ा समय निकालकर पीड़ित छात्र की इस पीड़ा को समझें और उसके साथ खड़े हों। संवेदनहीन व जल्लाद विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ उठ खड़े हों।

प्रताड़ित छात्र हरिओम सिंह ने अपनी वॉल पर ‘दुःखद समाचार, हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से’ शीर्षक से लिखा है कि-

साथियों बहुत दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि विश्वविद्यालय के शिक्षकों (शिक्षा विद्यापीठ के शिक्षक) को न पढ़ाने के लिए फुर्सत है न ऑफिसियल काम करने के लिए…!

विगत तीन वर्षों से बी.एड.-एम.एड (एकीकृत) के छात्रों को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा का प्रशासन ख़ास कर शिक्षा विद्यापीठ के हेड तथा कॉर्डिनेटर ने अँधेरे में रखा और लोभ देते रहे कि आपके दोनों हाथों में लड्डू है..! आप टीचर और टीचर-एजुकेटर दोनों बन सकते हैं वो भी तीन सालों में ही..!

अब बिहार में टीचर की बहाली आई है जिसमें फार्म भरने के लिए जब कोई ऑप्सन नहीं आया और विभागाध्यक्ष से जब बात हुई तो अचानक विभागाध्यक्ष अपने हाथ खड़े कर लिए और कहा आप स्कूल टीचर के लिए वैलिड नहीं है!

जबकि हम सभी साथी लगातार तीन सालों से सीटेट, नेट, टीजीटी, पीजीटी में अपने कोर्स का ऑप्सन माँगते रहे और विभागीय आश्वासन हमें मिलता रहा कि अगली बार आएगा…अगली बार आएगा..!

इन आश्वासनों का प्रमाण लिखीत रूप में हमलोगों के पास भी है..! अब कोर्स समाप्त होने पर कहा जा रहा है आपका कोर्स टीचर बनने के लिए नहीं है..! ऊँचा सोचिए, आपलोग टीचर-एजुकेटर बनिए…! शुक्र है कि उन्होंने कलक्टर बनने को नहीं कहा..!

बिहार में शिक्षक बहाली के लिए अभी आवेदन चल रहा है और ऐसे समय में हमें बताया गया है कि हम फार्म नहीं भर सकते ! आपको जहाँ जाना है जाइए कोर्ट जाइए या कहीं और ..! हमें आपके प्रति हमदर्दी है..!

किसी भी प्रकार के प्रश्न पूछने पर विभागाध्यक्ष महोदय के पास एक ही उत्तर है- कुतर्क मत करो,ऐसे कुतर्कों के लिए हमारे पास समय नहीं है, तुम ख़ुद डिफॉल्टर हो..आदि !

एक तरफ़ बुजुर्ग माता-पिता का प्रश्न- “बिहार में शिक्षक बहाली का फार्म आ गया है, भर दिए?” दूसरी तरफ़ विश्वविद्यालय प्रशासन का हमें डीफॉल्ट घोषित कर देना, हमारे तमाम बी.एड.-एम.एड.(एकीकृत) के साथियों की नींद छीन ली है..!

बहुत से साथी डिप्रेशन में हैं.. और अपनी मांगों को लेकर लगातार विश्वविद्यालय प्रशासन से विनती कर रहे हैं! लेकिन कोई अनुकूल हल दिखाई नहीं दे रहा है..!

अगर हमारे कोई साथी डिप्रेशन में आत्महत्या का क़दम उठाता है तो इसके लिए सबसे पहले जिम्मेवार विभागाध्यक्ष महोदय तथा दूसरे बड़े जिम्मेवार हमारे कॉर्डिनेटर महोदय होंगे..!

इन दोनों ने नामांकन से लेकर अब तक हमें धोखा एवं झूठे आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं दिया है..! उसके बाद वे सभी शिक्षक जिम्मेवार होंगे जो शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं और हमें पिछले तीन सालों से दोनों हाथों में लड्डू थमा रहे थे..तथा हमें शारीरिक मानसिक रूप से इन्होंने ऐसे आत्मघाती कदम उठाने के लिए मजबूर किया..!

हमारे साथियों को विश्वविद्यालय से भागने के लिए हॉस्टल ख़ाली करने का भी दबाव बनाया जा रहा है..ताकि ये न यहाँ रहे न इस विषय पर प्रश्न करे…! मेरे दुनिया में न रहने पर विभागाध्यक्ष को मुख्य आरोपी बनाते हुए सभी शिक्षा विभाग के शिक्षकों को हत्या का साजिशकर्ता का आरोपी समझा जाए ..!

अंत में पीड़ित छात्र ने सभी साथियों से गुज़ारिश की है कि हमारी सहायता करें..! अधिक से अधिक शेयर करें..! हमारे तीन वर्षों के मेहनत को सम्मान मिले..!विश्वविद्यालय द्वारा स्टूडेंट्स के साथ किए जा रहे इस कपटपूर्ण आचरण और भविष्य के साथ किये गए इस खिलवाड़ के खिलाफ केंद्र सरकार को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए।

जो विश्वविद्यालय प्रशासन विद्यार्थियों के भविष्य के साथ इस किस्म का खिलवाड़ करे, उसे सबक सिखाया ही जाना चाहिए!

दूसरी घटना भी कुछ इसी तरह है, जो विश्वविद्यालय में होने वाली प्रवेश परीक्षा से संबंधित है। विश्वविद्यालय का प्रशासन समाजकार्य, जनसंचार की पीएचडी प्रवेश परीक्षा बिना कारण बताए सिर्फ इसलिए रद्द कर देता है कि इन्हें अपनी जाति, और संगठन के लोग नही मिले, दूसरी तरफ इनका यह रवैया है की विद्यार्थियों के बार पूछने पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन कोई जवाब देने को राजी नही है।

इस भेदभावपूर्ण प्रक्रिया से छात्र त्रस्त छात्र विभिन्न जिम्मेदार लोगों के पास उम्मीद के साथ जा रहे है परंतु उन्हें गुमराह कर के भगा दिया जा रहा है। जिससे छात्रों में भयानक मानसिक तनाव है वह कोई भी घातक कदम उठाने को मजबूर हो गए है।

विश्वविद्यालय शोध प्रवेश परीक्षा सत्र 2019-20 में भी फेल होता नजर आ रहा है।

गांधी और शांति अध्ययन में तो हद ही कर दी गयी है, मात्र एक सीट पर जो लिखित प्रवेश परीक्षा और इंटरव्यू तक अनारक्षित थी, इस विभाग में अनुसूचित जाति के छात्र अरविंद को लिखित परीक्षा में सबसे अधिक नम्बर प्राप्त किया परन्तु उस सीट पर ews का आरक्षण लागू कर के प्रवेश दे दिया जाता है।जबकि नव प्रवेशित छात्र के पास इंटरव्यू के समय ews का सर्टिफिकेट भी नही था।

प्रवेश नियमावली में साफ लिखा है कि इंटरव्यू के समय जिसके पास सर्टिफिकेट नही है, उसे इंटरव्यू नही देने दिया जाएगा।

जिसका प्रवेश इन लोगों ने लिया है उस महोदय का ews सर्टिफिकेट 15/07/2019 का है और इंटरव्यू 13/07/2019 का है, इसी प्रकार राजेश कुमार पिछड़े वर्ग से आने वाले छात्र का आरोप है कि उसे लिखित परीक्षा में फेल कर दिया गया और उसे mphil से बाहर किया गया।

एक अन्य पिछड़े वर्ग के ही छात्र निरंजन कुमार को लगातार 4 सालों से इसी प्रक्रिया के तहत शिकार बनाया जा रहा है।

गांधी एवम शांति अध्ययन में अनुसूचित जाति के छात्र को अनारक्षित में जाने से रोकने के लिए एकमात्र सीट होने पर भी ews कर दिया गया।

यही मामला जनसंचार में पीएचडी शोध प्रवेश में भी किया गया जिसे बिना कोई वाजिब कारण बताएं निरस्त किया गया।

समाजकार्य की पूरी शोध प्रवेश प्रक्रिया को बिना साक्षात्कार के बाद लगभग 25 दिनों तक लटकाया गया और अचानक से बिना कारण बताए निरस्त कर दिया गया। विश्वविद्यालय में प्रवेश नियमों की धज्जियां उड़ा कर रखने वाले लोग कितना छात्रहित करेंगे यह आप समझ सकते है।

इस बार पदभार ग्रहण करने वाले नए vc जो कि खुद एक छात्रसंगठन ABVP से है और लगातार विश्वविद्यालय में आरएसएस के लोगों को ही प्रवेश देने में लगे है, इसके लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार है।

दूसरी तरफ संघ से अलग विचारधारा के लोगों के आ जाने पर उस विभाग की प्रवेश परीक्षा को ही बिना किसी कारण निरस्त कर दे रहे है।

विद्यार्थी विश्वविद्यालय प्रशासन के इस रवैये से काफी त्रस्त हो गए है।अब इस जानलेवा और ग़ैरजिम्मेदार विश्वविद्यालय प्रशासन से विद्यार्थियों को कोई उम्मीद नजर नही आती।


रिपोर्ट- वैभव छात्र महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, संपर्क-8055515957
7620665597


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