यूएन में पीएम मोदी का नोबेलाई भाषण और भारत का विकास


BY- रवि भटनागर


पीएम साहब का यूनाइटेड नेशन्स की जनरल एसेंबली में दिया भाषण सुना। कुल मिला कर भाव यही था कि हम युद्ध नहीं, पूरी तरह बुद्ध की विचारधारा का विस्तार ही हैं।

मानवता के मूल्यों के लिये आतंकवाद का पूरा तिरस्कार करते हैं। हम चाहते हैं पूरा विश्व इसके लिये एक जुट होकर उन ताकतों को कमज़ोर करे।

सबका साथ सबका विकास के मूल मंत्र लिये भारत, पूरे समाज कल्याण के अनेक चल रहे कार्यक्रमों की सफलताओं से कम विकसित देशों के लिये एक मिसाल कायम कर रहा है।

हमारे स्वच्छता, स्वास्थ्य बीमा, पर्यावरण, बैंक खातों, डिजिटल पहचान जैसे अन्य कार्यों की सफलता सामने है।

टीबी का उन्मूलन और बीस मिलियन घरों का निर्माण इत्यादि की योजनाएं चल रही हैं। हल्के प्लास्टिक के इस्तेमाल की रोकथाम, सोलार एवं रिन्यूएबल एनर्जी के मुद्दे पर मुख्य भूमिका भी रही है। उनके अनुसार यह सब सराहनीय है और अनुकरणीय भी है।

हमारे पी एम साहब ने वहाँ ठीक वही कहा जो यहाँ इस देश में कहते रहे हैं और उन्हें करने के प्रयास किये जा रहे है।

इन सब कार्यक्रमों का प्रचार व प्रसार भी उपलब्ध माध्यमों से समुचित किया जा रहा है।

यहाँ तक तो सब बहुत आसान सा है बूझ लेना और समझ लेना भी। अब बात ज़मीनी सच्चाई की हो जाये। आंकडों में सभी कुछ उलझ कर रह जाता है टीवी चैनल की चर्चाओं में।

अनेक प्रवक्ता अधूरी सच्चाई, कच्चे और पक्के से आंकड़ों पर अधकचरी बहस करते रहें, यह सब बेमानी है।

ऐसे में और देश की आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुये अब बहुत ज़रूरी हो चुका है कि इस सरकार से जुड़े सभी सांसद, सरकारी महकमों के सभी अधिकारी गण अपनी कमर कस लें।

सभी योजनाओं पर देश का अपार धन लगा है और इनकी अधूरी सी दिखती हुई सफलताओं से सरकार की साख पर बुरा असर तो होगा ही है, आम जनता के हालात भी बदतर होते जायेंगे। योजनाओं के लाभ केवल उनके बेहतरीन, समयबद्ध क्रियान्वयन से ही मिल पायेंगे।

जी हाँ पाकिस्तान या धारा 370 पर पी एम साहब का टिप्पणी न करना एक कूटनीतिक कदम था। पाकिस्तान के पीएम ने जो कुछ कहा वह भी उनकी मजबूरी थी। इनको व्यर्थ ही विशेष अर्थ देने या इन पर टिप्पणियाँ करना बिल्कुल ही अनावश्यक है।

लेखक स्वतंत्र विचारक तथा स्वराज इंडिया पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं।

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