जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थानबेर्ग ने नार्डिक पर्यावरण पुरस्कार लेने से किया इंकार


BY-THE FIRE TEAM


स्वीडन की रहने वाली ग्रेटा थानबेर्ग पर्यावरण संरक्षण को बढ़ाने में एक ऐसा नाम है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर थानबेर्ग उस समय चर्चा में आई

जब स्टॉकहोम में आयोजित समारोह में उन्होंने नार्डिक परिषद पर्यावरण पुरष्कार, 2019 को लेने से इंकार कर दिया. हालाँकि वे इस पुरस्कार से नवाजे जाने के लिए

परिषद को धन्यवाद देना नहीं भूलीं. उन्होंने कहा कि जलवायु संरक्षण अभियान में जरूरत इस बात की है कि सत्ता में बैठे लोग पुरस्कार देने के बजाए विज्ञान का अनुसरण करें तभी कुछ हो सकता है.

 

आपको बताते चलें कि थानबेर्ग की पहचान उनके द्वारा चलाये जा रहे ‘फ्राइडे फॉर फ्यूचर’ अभियान के जरिये है. इसके तहत वे प्रत्येक शुक्रवार को स्वीडन की संसद के बाहर

जलवायु परिवर्तन को लेकर धरना देती थीं. वहां वे एक तख्ती लेकर बैठा करती थीं जिस पर लिखा होता था-जलवायु की खातिर स्कूल की हड़ताल.

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए ग्रेटा ने कहा कि- जलवायु और पर्यावरण के मुद्दों पर नार्डिक देशों की बड़ी इज्जत है. किन्तु जब हमारे वास्तविक उत्सर्जन और हमारे

प्रति व्यक्ति इकोलॉजिकल फुटप्रिंट की बात आती है तो ये एक नई कहानी को बयान करती है. एक बात और ध्यान देने वाली यह है कि इन्हें इस वर्ष के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामित किया गया था.

किन्तु अंतिम दौर में इनको चुना नहीं गया बल्कि इनकी जगह इथोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद को साल 2019 के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुना गया है.

 

 

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