बीसीआई का प्रस्ताव: हाइकोर्ट में प्रैक्टिस के लिए ट्रायल कोर्ट का अनुभव और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस के लिए हाइकोर्ट में 2 साल की प्रैक्टिस हो अनिवार्य


BY- THE FIRE TEAM


बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने कानून के पेशे से जुड़े लोगों के लिए और बेहतर कानून व्यवस्था बनाने के लिए बड़े बदलाव लाने के लिए कुछ प्रस्ताव सामने रक्खे हैं।

बीसीआई द्वारा रक्खे गए प्रस्ताव-

हाइकोर्ट में प्रैक्टिस के लिए ट्रायल कोर्ट का अनुभव होना जरूरी

बीसीआई के द्वारा दिया गया ये प्रस्ताव अगर लागू होता है तो आने वाले समय में वकीलों को हाइकोर्ट में प्रैक्टिस करने से पहले 2 साल तक जिला अदालत या फिर तहसील में प्रैक्टिस करना अनिवार्य हो जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस के लिए हाइकोर्ट का अनुभव होना जरूरी

सुप्रीम कोर्ट में भी प्रैक्टिस करने के लिए अब वकीलों के कमसेकम दो साल तक हाइकोर्ट में प्रैक्टिस करने का प्रस्ताव भी बीसीआई ने दिया है।

कौंसिल वकीलों को अनुभव प्रमाण पत्र देने से पहले यह भी विचार कर रही है कि वकीलों को अदालत में न्यूनतम उपस्थिति भी दर्ज करनी होगी।

उप-न्यायिक अधिकारियों के लिए अनुभव

बीसीआई ने उप-न्यायिक अधिकारियों के लिए भी अनुभव के लिए जोर दिया है। अभी तक जिला अदालत में न्यायाधीश बनने के लिए किसी भी लॉ ग्रेजुएट अभ्यर्थी को बार में तीन साल के अनुभव की जरूरत होती है और ऐसा ही शीर्ष अदालत में भी है।

आपराधिक पृष्ठभूमि वाले वकील

बीसीआई ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा-

“जब तक इन नियमों को संयुक्त बैठक द्वारा अंतिम रूप नहीं दिया जाता है, तब तक देश में किसी भी बार एसोसिएशन का चुनाव नहीं होगा। घमंडी, गैर-व्यवहारिक और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को किसी भी बार एसोसिएशन के किसी भी चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”

बीसीआई ने यह प्रस्ताव नए सीजेआई एस ए बोबडे के स्वागत समारोह के एक दिन बाद रक्खे।

बीसीआई ने कहा कि कानूनी पेशे से जुड़े लोगों और कानून की शिक्षा में उच्च मानकों को बनाये रखने पर जो दिया जाएगा।


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