BY- सुशील भीमटा
वो अलबेली है दीन-दुखियों की सहेली है!
बेखौफ निकली है एक जनून लिए घर से एक बेटी घ्याल की!
रखती है हर खबर समाज मे उठते हर गलत बवाल और सवाल की!
जुर्म से कुचले दबे और जरूरतमन्दो के लिए बनी एक ढाल सी,
घ्याल की इस बेटी में मुश्किलों से टकराने की हिम्मत है कमाल की!
रानी झांसी सी बन निकली वजूद खुद का दर्शाती और गैरों को जुर्म,नशे से बचाती है!
समाज के उत्थान और नारी सम्मान के लिए हर जुर्मी से बेखौफ भीड़ जाती है!
बेखौफ निकली है हर बुराई मिटाने और गरीबों को दो निवाले।खिलानें को!
कसी है कमर बीमारी से जूझ रहे गरीबों के परिवार और उनके प्रिय का जीवन बचानें को!
एक ममता की मूरत बन है गले लगाती, ढाढस बंधाती हालात से कुचले इंसानों को!
हर पल, हर क्षेत्र में एक नेक राह दिखाती है इस बेदर्दी,चादर से बाहर पाँव रखते जमानें को!
गरीबों, जरूरतमंदों,दबे ,कुचले वक्त के मारे इंसानों के लिए ये बनी एक अभेद ढाल है!
इस घ्याल की बेटी सुनीता डोगरा में जनून इंसानियत का कमाल और बेमिसाल है!
तन, मन धन से कर सम्पर्ण निस्वार्थ सेवा ,नारी शक्ति की एक लाजवाब बनी मिसाल है!
गर्व है हमें अपनी माटी की इस बेटी पर ये हमारे संस्कारो और इलाके की पहचान है!
कभी धार्मिक अनुष्ठान करवाती,कभी किसीके चिराग को नशे की धीमी मौत से बचाती है
कभी नारी शोषण के खिलाफ तो कभी गौ रक्षा के लिए गौ रक्षा अभियान चलाती है!
घ्याल की बेटी सुनीता हर जुर्म मिटाने और सामाजिक उत्थान के लिए भागीदारी निभाती है!
इस कदर ये संस्कारी बेटी घर के चिरागों को गुमराही के अंधेरों से बचाकर घर घर रोशन कर जाती है!
जनता,सरकार से पाती सम्मान हर शख्स को नेकी की राह दिखाती,सिखाती है!
अपनें इंसानी जनून से लहस होकर परमात्मा के दरवार में अपनी हाजरी लगाती है!
आओ हम भी दुआ करें लम्बी उम्र और सलामती की परमात्मा इनको नेक राह चलाये रखे!
समाज सेवा और प्रभू आस्था का ये जनून आखरी सांस तक यूँ ही जगाये रखे!
मेरी ओर से इस बहन के सम्मान और हौंसले के लिए एक छोटी से भेंट समर्पित करता हूँ!
इनकी निस्वार्थ सेवा और इंसानियत के लिए दिल से दुआ और सलाम अर्पित करता हूं!
सुशील भीमटा
देवभूमि हिमाचल
छोटी बहन सुनीता डोगरा को मेरी ओर से सम्मान रूपी मेरी एक कविता समर्पित करता हूं!