नागरिकता संशोधन अधिनियम की वजह से अगर लॉ एंड आर्डर बिगड़ रहा है तो इस कानून को वापस ले सरकार


BY- THE FIRE TEAM


  • बिना शर्त मुकदमे हों तत्काल वापस, छात्रों की हो अविलंब रिहाई
  • राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर व नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरुद्ध प्रदर्शन

16 दिसम्बर, 2019 को लखनऊ में इंटीग्रल विश्वविद्यालय व नदवा कालेज के छात्रों ने राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर व नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में तथा इन्हीं मुद्दों पर दिल्ली में जामिया मिलिया विश्वविद्यालय व अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्रों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन के पुलिस द्वारा हिंसक दमन के विरोध में प्रदर्शन किया।

दोनों जगह पुलिस द्वारा छात्रों को नियंत्रित करने के लिए बल प्रयोग किया गया। नदवा में छात्रों का प्रदर्शन हुआ।

थाना हसनगंज में 16/12/19 को नदवा के छात्रों अरशद मोहसिन, सऊद और फैजी व मुहम्मद अहमद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 307, 147, 149, 336, 353, 504, 506, दंड विधि (संशोधन) अधिनियम, 7 में मुकदमा दर्ज हुआ है और आज उन्हें न्यायालय ने जेल भेज दिया।

इससे पहले 13/12/19 को हुए घंटाघर, चौक में आल इण्डिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन  द्वारा आयोजित प्रदर्शन पर भी पुलिस ने दो थानों में प्राथमिक सूचना रिर्पोट दर्ज कराई है।

थाना चौक में 13/12/19 को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 504, 341, 188, 147 में 15 लोगों के खिलाफ नामजद व 100 से 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है व थाना ठाकुरगंज में 13/12/19 को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 147, 53-ए, 153-बी, 124-ए, 155, 188, 283, 353, 504, 506 में 17 लोगों के खिलाफ नामजद व 600-700 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है।

इन दोनों ही प्रथम सूचना रिर्पोटों में आल इण्डिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अजीजुर्रहमान उर्फ खालिद का नाम शामिल है जिन्हें भी आज न्यायालय ने जेल भेज दिया।

नागरिकता संशोधन अधिनियम के संसद से पारित होने के बाद देश व्यापी जो प्रदर्शन हो रहे हैं जिसमें छात्र स्वयं स्फूर्त ढंग से आगे आए हैं उससे लखनऊ भी अछूता नहीं रहा है।

नदवा व इंटीग्रल दोनों ही शैक्षणिक संस्थानों के छात्रावास खाली करा लिए गए हैं ताकि छात्र और प्रदर्शन न कर पाएं। इंटीग्रल में छात्रों की एक माह की छुट्टी कर दी गई है।

सरकार की नासमझदारी के कारण जो परिणाम देश को भुगतना पड़ रहा है उसमें छात्रों का ही सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। उन्हें ही जेल भेजा जा रहा है और उनके शैक्षणिक संस्थान बंद किए जा रहे हैं।

ज्ञात हो कि जम्मू-कश्मीर में सरकार द्वारा 5 अगस्त, 2019 को लिए गए अविवेकपूर्ण निर्णय के कारण आज तक वहां के विद्यालय-महाविद्यालयों में पढ़ाई-लिखाई का काम ठप्प पड़ा हुआ है।

लखनऊ के सामाजिक-राजनीतिक नेताओं ने इंटीग्रल विश्वविद्यालय, हसनगंज थाने व जिला न्यायालय का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया व पीड़ित, गिरफ्तार छात्रों से मुलाकात भी की।

मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) से संदीप पाण्डेय, रिहाई मंच व सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) के अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शुऐब, रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, मोहम्मद शकील कुरैशी, सचेन्द्र यादव, शबरोज मोहम्मदी, एपीसीआर के एडवोकेट नजमुस्सकिब, राशिद, एडवोकेट खान, अब्दुल्लाह, परवेज, युवा शक्ति संगठन के सर्फराज अहमद शामिल थे।

प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि सरकार की अदूरदर्शिता के कारण देश का माहौल खराब हुआ है और ऐसी परिस्थिति बन गई है कि प्रदर्शनकारी जनता के सामने पुलिस को खड़ा कर कानून और व्यवस्था की समस्या खड़ी कर दी गई है।

साफ है कि सिर्फ नागरिकता संशोधन अधिनियम से प्रभावित होने वाले ही नहीं बल्कि दूसरे लोगों को भी लग रहा है कि देश के संविधान के साथ छेड़-छाड़ की जा रही है। इस वजह से छात्र सबसे ज्यादा आंदोलित है। सरकार ने शायद ऐसी उम्मीद नहीं की होगी।

सरकार को लगा होगा कि जम्मू व कश्मीर में धाराएं 370 व 35ए समाप्त करने वाले उसके साम्प्रदायिक निर्णय को कोई बड़ी चुनौती नहीं मिली तो शायद नागरिकता संशोधन अधिनियम भी देश पर थोपा जा सकता है।

बेहतर होगा कि देश की स्थिति इससे ज्यादा बिगड़े उसके पहले ही सरकार इस अधिनियम को वापस ले ले। इसी में बुद्धिमानी है।


सम्पर्कः राजीव यादव, 9452800752


[mks_social icon=”facebook” size=”35″ style=”rounded” url=”http://www.facebook.com/thefire.info/” target=”_blank”] Like Our Page On Facebook Click Here


 

Leave a Comment

Translate »
error: Content is protected !!