BY-SAEED ALAM KHAN
- दुनिया में बढ़ते जल संकट की गम्भीरता का अवलोकन करने के बाद यूनेस्को ने आज के दिन को है ‘विश्व जल दिवस’ घोषित कर रखा है.
जैसे जीवन को चलाने के लिये स्वच्छ हवा यानि ऑक्सीजन और पौष्टिक भोजन की जरूरत पड़ती है वैसे ही जिंदगी का एक अहम कारक जल भी है. यहाँ तक कि हमारा मानव शरीर भी 70 प्रतिशत जल से बना है.
यह ऐसा आवश्यक तत्व है जिसकी जरूरत मानव ही नहीं बल्कि पशुओं और पेड़-पौधों को भी पड़ती है. जल की इसी महत्ता के कारण जल ही जीवन है, जल है तो कल है जैसे नारे दिए गए हैं.
किन्तु विश्व की तेजी से बढ़ती जनसँख्या, लोगों की गतिविधियाँ, वृद्धि करता पर्यावरण प्रदुषण, औद्योगिक फैक्टरियाँ, बदलती आधुनिक जीवन शैली, मेट्रोपोलिटन शहरों का ऊष्मा द्वीप के रूप में तब्दील होना,
मोटर गाड़ियों से निकलता जहरीला धुआँ जैसे- कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड आदि ऐसे कारक हैं जिनकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है.
इस ग्लोबल वार्मिंग ने हिमालय पर जमे बर्फ के ग्लेशियरों को पिघलाना शुरू कर दिया है. इस प्रदुषण की गति इतनी खतरनाक है कि हमारे देश की अनेक नदियाँ जो धार्मिक रूप से पवित्र समझी जाती रही हैं, आज जहरीले नाले में तब्दील हो गई हैं.
जैसे- गंगा (को प्रदुषण से बचाने के लिए सरकार ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट चला रखा है) और यमुना (इसे ‘ग्रीन सूप’ भी कहते हैं). साथ ही निरंतर भू- जल स्तर भी खिसकता जा रहा है. नतीजा साफ दिख रहा है, चाहें नदियों में बढ़ता जलस्तर जो हमें बाढ़ की शक्ल में दिखता है तो कहीं अकाल और सूखा जैसी भयावह स्थिति उत्पन्न हो चुकी है.
World Water Day 22 March 2020. the day is celebrated across the world to spread awareness on the importance of Water. Save water and save the life on the earth. pic.twitter.com/R65peEaRvw
— Vedantam Classes (@VedantamC) March 22, 2020
निरंतर सूखते कुएँ, ताल, तलैया, झीलें इत्यादि जिनके कारण जलीय जीवों जैसे-मछलियाँ, मेढक, साँप, केकड़े आदि या तो नष्ट हो चुके हैं अथवा नष्ट होने के कगार पर हैं.
प्रदुषण ने मानसून चक्र को भी गहरे प्रभावित किया है जिसका परिणाम कहीं अत्यधिक गर्मी तो कहीं अत्यधिक सर्दी के रूप में देखने को मिल रहा है. इन्हीं सब चुनौतियों को संज्ञान में लेकर यूनेस्को हर वर्ष जागरूकता अभियान चलाता है.
अब जरुरत इस बात की है कि हम प्रकृति के द्वारा दिए गए इस अनमोल खजाने को संरक्षण दें ताकि सभी जीव जन्तुओं को बचा पाने में हम कामयाब हो सकें, अन्यथा हमारे पूर्वजों ने तो पानी को नदियों और तालाबों में देखा है और हम इसे बंद बोतलों में देख रहे हैं.
अगर अब भी हम नहीं चेते तो हमारी आने वाली नस्लें न जाने इसको किस रूप में देखेंगी इसकी केवल कल्पना की जा सकती है?