BY-THE FIRE TEAM
- एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रही है वहीं दूसरी ओर भारत ने जम्मू कश्मीर राज्य में डोमिसाइल के मानकों को जारी कर दिया है जिसका कई जगह से विरोध हो रहा है.
मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर राज्य से धारा 370 और अनुच्छेद 35(ए) को हटा दिया है जिसके कारण उससे ‘विशेष राज्य’ का दर्जा समाप्त हो गया.
और उसे केंद्र शासित प्रदेश के रूप में स्थापित किया गया. वर्तमान में यह केंद्र शासित प्रदेश नए अधिवास नियमों के लागु किये जाने के कारण पुनः सुर्ख़ियों में आ गया है.
डोमिसाइल कानून के संबन्ध में केंद्र सरकार ने बताया है कि- “जम्मू-कश्मीर राज्य में जो व्यक्ति विगत 15 वर्षों से रह रहा है उसे ही यहाँ का नागरिक माना जायेगा. इसके अतिरिक्त जो छात्र पिछले सात वर्षों तक यहाँ के स्कूलों में मैट्रिक और इंटरमीडिएट की पढाई करके परीक्षा पास किये हैं उन्हें भी यहाँ की नागरिकता दी जाएगी.”
The Union government has notified new rules defining domicile for the Union Territory of Jammu and Kashmir.
Reports @Arunima24 https://t.co/jrOqHIWweV
— News18.com (@news18dotcom) April 1, 2020
सरकार द्व्रारा जारी किये गए इस नवीन कानून से यह स्पष्ट हो गया है कि अब देश के विभिन्न हिस्से में रहने वाले लोग यहाँ आसानी से सरकारी नौकरी पाकर अपना स्थाई घर भी बना सकते हैं.
हालाँकि सरकार के इस फैसले पर नेशनल कॉनफेरेन्स के नेता उमर अब्दुल्लाह ने कहा कि- कोरोना जैसी आपदा की स्थिति के समय में जब संरक्षण और बचाव का कार्य करना चाहिए था, उसकी जगह यह कानून लाना पहले से लगी चोट को और गंभीर चोट करने जैसा है.
उन्होंने केंद्र पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि सरकार के पास डोमिसाइल जैसा कानून लाने का समय है किन्तु पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती की रिहाई पर विचार करने का नहीं है.
Centre defines new domicile rule for J&K#Srinagar
A person residing in Jammu and Kashmir for at least fifteen years will now be eligible to be a domicile of the union territory, according to the new rule issued by the Centre Tuesday, reported The Indian Express. pic.twitter.com/XbNr6pJhEP— OWAIS LATEEF 2020 (@owaislateef2020) April 1, 2020