BY-THE FIRE TEAM
एक तरफ कोविड 19 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी घोषित कर रखा है तथा इसके बचाव के लिए नए-नए प्रयोग और सुरक्षा उपकरण दुनिया के विभिन्न वैज्ञानिक खोजने में लगे हुए हैं,
वहीं भारत के प्रधानमंत्री ने भी कोरोना से अपने नागरिकों की सुरक्षा पुख्ता करने के उद्देश्य से 21 दिनों का लॉक डाउन घोषित कर रखा है.
चुँकि यह एक संक्रमित बीमारी है ऐसे में यह एक एहतियात बरतने वाला कदम माना गया है और इसमें सफलता भी मिली है.
किन्तु प्रधानमंत्री मोदी ने अभी एक सप्ताह पूर्व देशवासियों से शाम पाँच बजे ताली और थाली बजवाया था ताकि कोरोना को भगाया जा सके. इसके आलावा भारत में तो ऐसे अनेक साधु भी अपना ज्ञान सोशल मिडिया और अन्य जगहों पर दिखते हुए पाए गए
जो गोमूत्र का सेवन करने की वकालत कर रहे थे और इस बात का दावा कर रहे थे कि ऐसा करने से कोरोना नहीं फैलेगा और न ही कोई व्यक्ति इससे पीड़ित होगा.
हालाँकि ऐसे साधुओं और प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम को अन्धविश्वास बताकर कई आलोचना सुनने को मिली. इसके आलावा पुनः एक अन्य अपील और मोदी ने देशवासियों से किया है कि आने वाली रविवार की रात्रि को नौ बजे घर की सभी लाइटों को बंद करके टॉर्च, मोमबत्ती अथवा दिए नौ मिनट तक जलाएं ताकि कोरोना से लड़ा जा सके.
हर कोई इस लड़ाई का नायक है, सहयोग के लिए साधुवाद… https://t.co/6lzDWpzDdk
— Narendra Modi (@narendramodi) April 3, 2020
इस बयान की भी सभी जगहों पर आलोचना हो रही है. इसी क्रम में प्रशांत किशोर ने कहा है- आखिर जिन तथ्यों को विज्ञान ने नकार दिया है, प्रधानमंत्री उन बिंदुओं का समर्थन क्यों कर रहे हैं? इस तरह के विचार अनर्गल और अनर्थ हैं.